उत्तराखंड की धरती शुरू से ही पूजनीय और गर्वित इतिहास से परिपूर्ण और सम्पन्न रही है। और बात की जाय अगर यहाँ के युवाओ की, तो उन्होंने भी हर क्षेत्र में उत्तराखंड की एक अलग ही पहचान बनायीं हुई है। और वाकई में हर क्षेत्र में एक पहचान स्थापित किये हुए है। और आज जिस युवा की हम कहानी यहाँ लेकर आये है, उस कहानी को सुनकर और समझकर आपको न सिर्फ एक गर्व की अनुभूति होगी, बल्कि आपको प्रेरणा भी मिलेगी ,जीवन में आगे बढ़ने की। आज की हमारी कहानी है, उत्तराखंड में जन्मे वैभव जोशी की। जिन्होंने इसरो में वैज्ञानिक का पद पाया है। और इसरो में चयन होने से उन पर उत्तराखंड को नाज़ है। उन्होने उत्तरखंड का नाम रोशन किया है। वैभव ने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए बहुत कड़ी मेहनत की है। और आज वे वैज्ञानिक बन गए है। आईये जानते है उनकी कहानी।
नैनीताल से है वैभव जोशी
बता दे कि, उत्तरखंड में रहने वाले वैभव उत्तराखंड के नैनीताल के रहने वाले है। नैनीताल जो कि तालो का शहर कहा जाता है। क्योकि वहां पर नह बहुत से ताल है। और वैभव ने वैज्ञानिक बनकर न सिर्फ नैनीताल का नाम रोशन किया है, बल्कि पुरे उत्तराखंड का नाम रोशन किया है। और वाकई में किसी भी जिले या राज्य के लिए ये अपने आप में हह बहुत बड़ी उपलब्धि होती है, जब उसके क्षेत्र से कोई युवा का चयन इस तरह के बड़े पद के लिये चयनित होते है।
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मेकैनिकल डिग्री के बाद हासिल की ये सफलता
वैभव जोशी शुरू से ही पढ़ाई में बहुत अच्छे थे। और उन्होंने मेकानिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की है। और उसके बाद उन्होंने इसरो जैसे बड़े और विख्यात वैज्ञानिक अनुसंधान में वैज्ञानिक के तौर पर चयनित होकर सफलता की नई इबारत लिखी है। और आज उनके ऊपर पुरे उत्तरखंड को भी गर्व है।
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