बचपन में ही माँ चल बसी, जुग्गी मे काटा जीवन, बीमारी के चलते पैर भी नहीं रहे, कमज़ोरी को ताकत बनाकर पास की यूपीएसी परीक्षा, बन गयी आईएएस अफसर

उम्मुल खैर एक ऐसा नाम है, जिसे सुनकर आप बहुत हैरान हो जाएंगे।और उनकी कहानी भी आपको बहुत प्रेरित कर देगी। क्योकि उन्होंने जीवन में बहुत सी मुश्किल परिस्थिति को देखा है, और समझा है। क्योकि बचपन में ही उनकी माँ ने उन्हें छोड़ दिया, अर्थात उनका निधन हो गया था। लेकिन इन सबके बावजूद भी उन्होंने ज़िंदगी में अपने आप को स्थापित किया है। और उनकी कहानी सभी के लिए प्रेरणा बन गयी है। क्योकि उनकी कहानी ऐसे लोगों के लिए खास है, जो ये सोचते है कि वक़्त से कोई नहीं लड़ सकता है। और अपनी कमज़ोरी और हालातों के सहारे छोड़ देते है। कुछ नहीं करते है। और हार जाते है , लेकिन ऐसे में उम्मुल  खैर जी की कहानी हिम्मत देने का काम करती है। आईये जानते है उम्मुल खैर की कहानी।

जुग्गी में बीता है बचपन
जुग्गी में बीता है बचपन

जुग्गी में बीता है बचपन

उम्मुल खैर जी की माता जी की तभी मृत्यु हो गयी थी। जब वे बहुत छोटी थी। और उन्हें ऐसी हालत में छोड़कर चली गयी थी।और उसके बाद उनका सारा जीवन एक जुग्गी में ही बीता था। और उसके बाद शुरू हुआ था असली संघर्ष। जिसमे उन्होंने रहने की समस्या के साथ साथ पढ़ाई के परेशानी सी झेली थी। क्योकि माँ के जाने के बाद पिता के ऊपर सारी जिम्मेदारी आ गयी थी। और ऐसे में उम्मुल की पढ़ाई की भी जिम्मेदारी उनके सर आ गयी थी। क्योकि पिता जी मूंगफली का ठेला चलाते थे।

उम्मुल खेर ने यूपीएसी की परीक्षा में हासिल की 420 रैंक
उम्मुल खेर ने यूपीएसी की परीक्षा में हासिल की 420 रैंक

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उम्मुल खैर हासिल की 420 रैंक

साल 2016 में उम्मुल खेर ने यूपीएसी की परीक्षा में न सफलता हासिल की है।  बल्कि उसमे उन्होंने 420 वी रैंक हासिल की है। और एक मिसाल कायम की है। माँ की मृत्यु के बाद उसके पिता ने दूसरी शादी भी कर ली थी।लेकिन उम्मुल खैर को वो बिलकुल भी पसंद नहीं करते है। लेकिन इन सबके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी थी। और जीवन में एक मिसाल कायम की है। उनके इस जस्बे को सलाम है।

उम्मुल खेर ने जीवन में एक मिसाल कायम की है। उनके इस जस्बे को सलाम है।
उम्मुल खेर ने जीवन में एक मिसाल कायम की है। उनके इस जस्बे को सलाम है।

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