बचपन से ही मज़दूरी के साथ साथ भील संस्कृति को उकेरा करती थी चित्रों पर भूरी बाई पद्म श्री से किया गया है सम्मानित

वो एक मज़दूर महिला है , हाँ वो एक औरत है। लेकिन मजबूत है। सशक्त है। एक माँ है ,एक पत्नी है , हाँ वो मजदूर सही लेकिन आज एक पदम् श्री सम्मानित महिला भी है। हम बात कर रहे है , भोपाल की रहने वाली महिला मज़दूर की। जिन्होंने काफी गरीबी में अपना जीवन गुज़ारा और काफी परेशनियां देखी। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। और अपने चित्रकारी के शोक को भी जिन्दा रखा। और उनकी इस चित्रकारी की सबसे खास बात है ,कि उन्होंने संसाधनों के आभाव में भी अपनी चित्रकारी नहीं छोड़ी और इस वर्ष उन्हें भारत के श्रेष्ठतम सम्मान पुरुस्कार पद्म श्री से नवाज़ा गया है।

भील चित्रकार भूरी बाई
भील चित्रकार भूरी बाई

भील संस्कृति की बनाती है चित्रकारी

वैसे तो देश भर में हर तरह की चित्रकारी प्रसिद्ध है। लेकिन कुछ विशेष चित्रकारी संस्कृति से सम्बंधित होती है। जिसका क्रेडिट जाता है भुरी बाई को , जिन्होंने न सिर्फ अपने चित्रकारी के शोक को पूरा किया बल्कि अपनी संस्कृति को भी बचाया। और उनके इसी प्रयास को भारत सरकार द्वारा पदम् श्री पुरुस्कार से भी सम्मानित किया गया है।

भील संस्कृति को यूँ कागज़ पर उतारा होगा।
भील संस्कृति को यूँ कागज़ पर उतारा होगा।

इसे भी अवश्य पढ़े:- गुजरात से निकले वीरल पटेल की जेब में थे मात्र 35 रुपए, और सपनो की नगरी में बसा लिया करोड़ो का व्यापार

शुरू में बनाती थी मिटटी से चित्रकारी

मध्य प्रदेश के पिटोल झाबुआ में जन्मी भूरी बाई का जन्म एक साधारण और गरीब परिवार में हुआ था। और उन्होंने शुरू से ही काफी गरीबी देखी थी। माता पिता एक मज़दूर थे। और उन्हें शोक था कुछ चित्रकारी बनाने का। तो उन्होंने कुछ चित्र बनाने शुरू किये। जो कि उनकी भील संस्कृति से सम्बंधित थे। इनसे पहले किसी ने भी आज तक इतनी चित्रकारी नहीं की होगी। और बल्कि वो पहली ऐसे महिला है जिन्होंने भील संस्कृति को यूँ कागज़ पर उतारा होगा। और शुरुआत में वो बताती है कि उन्हें रंगों के लिए मिट्टी और पौधे से बनाने पड़ते थे। जिसके लिए बहुत मेहनत लगती थी। लेकिन वो शुरुआत में मिट्टी पर चित्रकारी करती थी।

मोदी जी ने भी किया सम्मानित भूरी बाई को
मोदी जी ने भी किया सम्मानित भूरी बाई को

पहली भील चित्रकारी महिला है भूरी बाई

बता दे कि भूरी बाई पहली ऐसी भील महिला है। जिन्होंने अपनी संस्कृति की चित्रकारी को इस तरह से सामने रखा हो। और वो अपने कबीले की पहली महिला भी है। जिन्होंने घर की दीवारों छतो को भी अपनी चित्रकारी से रंग दिया है। और ये सब देखकर उनके कबीले के लोग भी काफी खुश है। और उनकी सराहना करते है।

इसे भी अवश्य पढ़े:- 8 साल की उम्र में थमा दिया था माँ बाप ने लैपटॉप , तकनीक से हो गया इतना प्यार कि स्कूल छोड़कर चल पड़े इस राह पर

इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद , ऐसे ही दिलचस्प किस्से जानने के लिए जुड़े रहिये  समाचार buddy.com के साथ, और हमारे फेसबुक पेज को फॉलो करना न भूले!

Join WhatsApp Channel
Join WhatsApp Join Telegram