अरे ! तुम्हे दौड़ना थोड़ा न है”, ये शब्द उस डॉक्टर के मुँह से निकले है, जिन्होंने एक ऐसी महिला को ये बाते कही थी, जो कि आज देश की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में मैराथन जीतने वाली किरन कनौजिया ब्लेड रनर के नाम से जानी जाती है। और आज उनकी एक अलग ही धाक ही चलती है , और उन्होंने एक अलग ही पहचान बनायी हुई है। और वे अपने आप में एक खास पहचान रखती है। और फिर उन्होंने जीवन के असली संघर्षो को भी झेला है ,और आज यहाँ तक पहुंच पायी है। और आज वो दुनिया के लिए मिसाल भी बन चुकी है। क्योकि दुनिया में आपसे पैसा चला जाय, तो लाया जा सकता है, लेकिन शरीर का का कोई अंग खराब हो जाए, या फिर कट जाए, तो भी बहुत परेशानी होती ही है। क्योकि जीवन को पहले की तुलना में जीना बहुत मुश्किल हो जाता है। क्योकि जीवन स्तर में बहुत से उतार चढ़ाव आजाते है , और चीज़े बदलने लगती है। और फिर शुरू होता है जीवन का असली संघर्ष और सफलता के लिए जद्दो जहद। आईये जानते है देश की ब्लेड रनर के नाम से जाने जाने वाली किरण कनोजिया के बारे में।
ट्रैन हादसे में गँवा दिया था पैर
बता दे कि, 24 दिसंबर, 2011 को किरन ट्रेन से हैदराबाद से फरीदाबाद आ रही थीं। और इस सफर के दौरान ही ट्रैन में उनका बैग बदमाशों ने छीनने की कोशिश की। और अपना समान बचाने की जद्दो जहद में किरण कनोजिया ने अपना बचाव करने की कोशिश की , कि तभी उनका पैर ट्रैक पर आ गया था। और फिर अचानक साहन से उन्हें आनन फानन में हॉस्पिटल ले जाया गया था। और फिर उसके बाद उन्हें बोला गया कि, पैर काटना पड़ेगा। और ऐसा हुआ भी। मजबूरन उन्हें अपने एक पैर से हालातो के आगे हाथ गंवाना पड़ा था। जब डॉक्टर उनका इलाज कर रहा था, कि तुम ठीक हो जाओगे, कौन सा तुम्हे कोई मैराथन जीतनी है। और ये बाते उस वक़्त किरण को बहुत चुभी थी। और फिर उन्होंने अपने आप को बदलने का फैसला लिया था।
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किरन कनौजिया जीती हाफ मैराथन
बता दे कि, साल 2013 में आखिर में किरण ने कुछ अनोखा करने की ठानी। उन्होंने मैराथन में ही हिस्सा लिया। और जीतकर दिखाया था। आज वो ब्लेड रनर के नाम से जानी जाती है।
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