कहते है, कि हमारी उम्र हमारे होंसलो को नहीं आंक सकती है। और बात सही भी है। हमारे तजुर्बे या अनुभव हमे ज़िंदगी की एक नई परिभाषा देते है। और एक नई सीख भी देते है। और हमे अक्सर ये भी सुनने में आता है, कि उम्र दराज़ लोग ही अनुभव रखते है। लेकिन वही उम्र दराज़ लोग खुद यह कहते है, कि, जो इंसान जीवन की ठोकरे खाता है। या फिर किसी हादसे से आहत हो जाता है, और उसी हादसे को जीवन का एक दुखद पल भी समझ बैठता है। और जीना भूल जाता है। लेकिन हमारे ही बीच कुछ ऐसे भी लोग होते है, जो कि इन्ही मुश्किल वक़्त से होकर गुज़रते है, लेकिन जीवन में आगे बढ़ते है, और एक नई जीवन प्रेरणा देते है। आज का हमारा ये लेख समर्पित है, सुधा चंद्रन जी को। जिन्होंने एक हादसे में अपना एक पैर गँवा दिया था। और जीने की उम्मीद को छोड़ने के बाद भी उसे जिन्दा किया ,. और बन गयी लाखो करोड़ो के लिए प्रेरणा। उन्होंने हादसे में अपना एक पैर गँवा दिया था। जबकि उन्होंने इसी पैर के बदौलत एक शानदार नृत्यांगना होने का गौरव भी हासिल किया है। लेकिन उन्होंने एक आर्टिफिशल पैर की सहायता से खुद को फिर से खड़ा किया है। और आज वे उच्च शिखर ऊपर है।
बस हादसे में गँवा दिया था अपना एक पैर
बता दे कि, सुधा चंद्रन जी ने महज़ 3 साल की उम्र से डांस सीखना शुरू किया था। और वे 16 साल की उम्र तक अपनी सफलता के उच्च शिखर पर भी आने लगी थी। वे एक बेहतरीन भरतनाट्यम कलाकार भी थी। लेकिन एक दिन बस में आते हुए उस बस का एक्सीडेंट हो गया था। और उसी हादसे में उनका पैर ख़राब हो गया था , जिसकी वजह से उनका एक पैर काटना पड़ गया था। और फिर उसके बाद जो उनके डांस का करियर भी खतरे में पड़ गया था। और वे निराश हो गयी थी।
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हिम्मत करके फिर से उठी सुधा चंद्रन
एक पैर कटने के बावजूद भी सुधा ने हार नहीं मानी है। और उन्होने एक बार फिर से डांस करने का कड़ा फैसला लिया था। उन्हें एक लिम्ब लगाया गया और उन्होंने दोबारा चलना सीखा। जिसके बाद उन्होंने डांस भी शुरु किया। और बन गए दुनिया के लिए अद्बुध मिसाल।
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