पर्यावरण के बचाव की बात तो हर कोई करता है, लेकिन इसके लिए कार्य कोई नहीं करता है। बहुत ही कम लोग ऐसे होते है, जो इसके लिए सक्रीय रूप से कार्य करते है। और आजकल के युवा तो इसके लिए कार्य करने के लिए अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल भी नहीं करते है। और जबकि उनकी इतनी सक्रीय नहीं कार्य करते है। क्योकि वे करियर बनाने में ज्यादा समय देने की बात करते है, हांलाकि वे समाज के इस मह्त्वपूर्ण पहलु को नहीं देखते है। और ये इसलिए गलत है। जबकि अगर आज के युवा इतना हिम्मत तो रखते ही है कि वे पर्यावरण के लिए कार्य कर सके। क्योकि आज हमारी इस पृथ्वी में पेड़ जंगल का बहुत बुरा हाल है। कई लोग लालच के चक्कर में वो पेड़ो को काट देते है। और इस तरह से जंगलो का विनाश हो रहा है। आज हम ऐसे बुजुर्ग दम्पत्ति की कहानी लेकर आये है ,. जिन्होंने एक बंजर ज़मीन को एक खूबसूरत जंगल में बदल दिया है , 78 वर्षीय नारायण सिंह मेहरा और 70 वर्षीय नंदादेवी ने एक मानव निर्मित जंगल का निर्माण किया है।आईये जानते है उनकी कहानी के बारे में।
78साल के नारायण सिंह मेहरा और 70 वर्षीय नंदादेवी ने बनाया जंगल
बता दे कि, उत्तराखंड के 78साल के नारायण सिंह मेहरा और 70 वर्षीय नंदादेवी ने उत्तराखंड के एक गाँव झकोरि में रहते हुए , उसकी सेवा की थी। और वे उसे एक बेहतर स्थान बनाना चाहते थे , और इस उम्र में भी उन्हकै होंसला बिलकुल भी कम नहीं हुआ है। बल्कि उन्होने इस उम्र में भी इस बंजर जगह को एक वीरान से इतना सुंदर जंगल बना दिया है।
हज़ारो से ज्यादा लगाए हुए है पौधे
78साल के नारायण सिंह मेहरा और 70 वर्षीय नंदादेवी जी ने अपने इस जंगल को बनाकर एक नया और अनोखा काम किया है , अक्सर इस उम्र में बहुत से लोग ऐसे लोग होते है, जो इस उम्र में इस काम के बारे में सोचते है। तो ऐसे में इन बुजुर्ग दंपत्ति ने ये काम करके ह्रदय जीत लिया है। और सभी के लिए प्रेरणा दे दी है।
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