चैत्र मास में नवरात्रि प्रारम्भ हो रहे हैं जिसकी अप्रेल माह की दो तारीख से शुरुआत होगी, नवरात्रि में देवी माता के नो रूपों की पूजा होती हे। देवी के हर रूप की अलग अलग खासियतें होती हैं। यह नो देवियाँ जिस किसी पर भी प्रसन्न होती हैं उसके जीवन को खुशहाली और धन मान से भर देती हैं, इन सभी देवियों में अपनी अपनी अलग विलक्षण शक्तियां विराजमान हैं जो उन्हें पूजने वालों पर वे इन शक्तियों से उनके जीवन पर आने वाले विघ्नों ने उनकी रक्षा करते हैं।
इन देवियों को हरियाली उगाकर इनका आव्हान किया जाता है और नवरात्रि पूजा पाठ व्रत और शाकाहार से इनका सम्मान किया जाता हे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के लिए कुछ विशेष नियम निर्धारित कर दिए गए हैं, जिनसे देवी की कृपा श्रद्धालुओं पर बनी रहती हे।
देवी को प्रसन्न रखने के उपाय
नवरात्रि में देवी के लिए जागरण भी किया जाता हे, यह खास तोर पर उत्तर पश्चिम भारत में लोकप्रिय है। गुजरात में गरबा नृत्य का आयोजन भी किया जाता है जिसमे युवक युवतियों का खास नृत्य होता है।
नवरात्रि पर विशेष भोग बनाने का विधान है जिसमे शाकाहार से सम्बंधित भोजन का ही विधान है, इसमें अगर दिनमान भर कोई निराहार रहकर व्रत करता हे तो वह विशेष कृपा का पात्र और पुण्य का भागी होता है।
नो दिनों में नो अलग अलग देवियों की पूजा क्रमबद्ध तरीके से करें। शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धदात्री। इनकी पूजा के बाद नौवें दिन विधि विधान से इनका हवन करने के बाद नवरात्रि का समापन होता है।
नवरात्रि के समापन पर विशेष रूप से नौ देवियों के प्रतिरूप में नौ कन्या का पूजन के बाद उन्हें भोजन कराया जाता हे और उन्हें भेंट स्वरुप श्रृंगार सामग्री दी जाती हे। जिसके लिए मान्यता है कि यह नो कन्या खुश हुई, तो देवियाँ भी खुश हो जाती हैं।
नवरात्रि में इन गलतियों के प्रति सचेत रहें
देवी के पाठ में प्रयोग होने वाले ग्रंथों का पाठ करें या ना करें, लेकिन आधा अधूरा पाठ ना करें, और ना ही किसी और के पाठ में विघ्न डालें। ऐसा करने से अनिष्ट हो सकता है, चमड़े की वस्तुएं ना धारण करें।
इसे भी देखे-: प्राचीन ऐसे अति विकसित स्थान जो अब भूतिया राज में तब्दील हो चुके हैं। दिन में भी घूमने जाएँ तो भी सावधान
लहसुन प्याज का सेवन ना करें और मदिरा और मांस का तो भूलकर भी ना करें, जो भी भोजन खाएं वह शाकाहारी ही हो, और व्रत के दिनों में नीम्बू भी ना काटें, वह बलि देने के सामान माना जाता है।
दिन के समय व्रत में अगर कुछ खाना ही हो तो फलाहार और दूध ग्रहण करें और दिन के समय नींद भी ना लें, ना ही दाढ़ी और बाल कटायें, अगर संभव हो तो अखंड दीपक जलाएं लेकिन उसे किसी भी हाल में नो दिन तक बुझने ना दें।इस प्रकार की ओर भी रोचक खबरे जानने के लिए हमारी वेबसाइड ”Samchar buddy” से जुड़े रहे।