70 के दशक में ये काफी बड़ी रकम थी। फिल्म एक्टर और प्रोड्यूसर धीरज कुमार ने मीडिया को दिए इंटरव्यू में बताया था कि ‘एक फेमस स्टूडियो में शूटिंग के दौरान काका ने मुझे अपने कमरे में बुलाया और एक सूटकेस दिखाया फिर बोलें खोलो इसे मैंने खोला तो हैरान रह गया। पूरा सूटकेस नोटों से भरा हुआ था और तब तक इतने नोट एक साथ मैंने नहीं देखे नहीं थे।मुझे हैरान देखकर काका अपने खास अंदाज में मुस्कुरा रहे थे चिनप्पा को दहेज के लिए अपनी पत्नी को परेशान करने के जुर्म में सजा मिली थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 70 के दशक में चिनप्पा ने राजेश खन्ना को 5 लाख रुपए साइनिंग अमाउंट दिए थे।सतबीर को छुआछूत मानने का दोषी माना गया था। दोनों को अदालत ने चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दी। क्या यह फैसला लोकतांत्रिक चुनावों के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ जाता है? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।दरअसल, मद्रास के प्रसिद्ध फिल्ममेकर चिनप्पा हिंदी फिल्म बनाना चाहते थे।पैसों की उनके पास कोई कमी नहीं थी। लिहाजा राजेश खन्ना उनकी पहली और आखिरी पसंद थे। राजेश ने उन्ही दिनों राजेंद्र कुमार के बंगले को खरीदा था, इसलिए उन्हें काफी पैसे चाहिए थे।चिनप्पा ने मोटी रकम ऑफर की तो काका ने बिना देरी किए हां कर दी।
इसे भी पढ़े :- भारत का बजा डंका बॉक्सिंग में, नीतू, स्वीटी, निकहत के बाद लवलीना बोरगोहेन ने भी जीता चौथा स्वर्ण पदक
रुपये से भरा सूटकेस देख मुस्कुरा उठे थे राजेश खन्ना
राजेश खन्ना की खुशी उस समय खत्म हो गई जब एम एम ए चिनप्पा देवर ने उन्हें स्क्रिप्ट भिजवाई. स्क्रिप्ट पढ़ते ही काका को पसीना आ गया, उन्हें लगा कि इस सबजेक्ट पर फिल्म बनी तो बुरी तरह पिट जाएगी और उनके करियर पर जो असर पड़ेगा वो अलग.
ऐसे में राजेश को सलीम खान याद आए, उनके पास गए और बोले कि ये स्क्रिप्ट बहुत खराब है. मैं इस स्क्रिप्ट को वापस कर देता लेकिन पैसे काफी ले चुका हूं. शायद 9 लाख लिए थे जो उनकी मार्केट प्राइस से करीब 4 लाख अधिक थे। 5 लाख साइनिंग अमाउंट ले चुके थे
जावेद अख्तर ने ये किस्सा एनडीटीवी के एक शो के दौरान किया था. जावेद साहब ने कहा था कि ‘हमने वो स्क्रिप्ट पढ़ी और राजेश से कहा कि हमारी एक शर्त है कि हमें इसमें जितने बदलाव करने हैं, उसमें किसी को कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए. राजेश बोले कुछ भी करो लेकिन मुझे बचाओ. हमने उस कहानी में 4 हाथी छोड़ सारी पूरी स्क्रिप्ट बदल दी. इस फिल्म का नाम रखा गया ‘हाथी मेरे साथी।
इसे भी पढ़े :-रात के अंधेरे में पहना काला चश्मा दीपिका पादुकोण ने, और ऐसे अजीबो-गरीब लुक की चलते हुईं ट्रोल एयरपोर्ट पर
जबरदस्त हिट हुई ‘हाथी मेरे साथी’
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के जाने माने स्क्रिप्ट राइटर ने राजेश खन्ना को जीवनदान देने का काम किया। सलीम-जावेद की जोड़ी ने काका की इमेज को ध्यान में रख कर स्क्रिप्ट पर काम किया।फिल्म ‘हाथी मेरे साथी’ में काका के अपोजिट तनुजा थीं।
इस फिल्म के गाने भी खूब हिट हुए और ये फिल्म बच्चों के बीच बहुत पॉपुलर हुई. कहते हैं कि ‘हाथी मेरे साथी’का बच्चों के बीच ऐसा क्रेज था कि इसके लिए बुकिंग करवाने में स्कूलों को हफ्ते भर का इंतजार करना पड़ता था।
जावेद अख्तर ने ये किस्सा एनडीटीवी के एक शो के दौरान किया था. जावेद साहब ने कहा था कि ‘हमने वो स्क्रिप्ट पढ़ी और राजेश से कहा कि हमारी एक शर्त है कि हमें इसमें जितने बदलाव करने हैं।
उसमें किसी को कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए. राजेश बोले कुछ भी करो लेकिन मुझे बचाओ। हमने उस कहानी में 4 हाथी छोड़ सारी पूरी स्क्रिप्ट बदल दी. इस फिल्म का नाम रखा गया ‘हाथी मेरे साथी।हमारे इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए आप सबका धन्यवाद और इस प्रकार की ओर भी रोचक खबरे जानने के लिए हमारी वेबसाइड ”Samchar buddy .com से जुड़े रहे है।