व्यक्ति का ज़िद्दीपन अगर सही दिशा में हो तो उसका जीवन सही जगह पर मंज़िल हासिल कर लेता है। और अगर होंसला सच्चा हो। और मंज़िल पाने की इच्छा हो, तो सफलता मिल ही जाती है। कहानी एक ऐसे शख्स की, जिसने अपना बचपन खैनी गुटका बेचते हुए गरीबी में बिताया। लेकिन अपने सपने को नहीं भूला। हम बात कर रहे है, बिहार के छोटे से जिले नवादा में जन्मे निरंजन कुमार की। जिन्होंने मजबूरियां तो देखी ,लेकिन अपने जूनून को बनाये रखा। और निरंजन कुमार बन गए आईएएस अफसर। और इन्होने upsc परीक्षा सिर्फ एक बार नहीं बल्कि, दो बार पास की है। और आईएएस अफसर के पद पर कार्यरत है।
पिता के साथ बेचा खैनी गुटका
निरंजन कुमार के पिता अरविन्द कुमार की अपनी छोटी से एक खैनी गुटके की दुकान थी। और निरंजन काफी गरीब परिवार से थे, तो उन्होंने अपने पिता की सहायता के लिए उनके साथ खैनी बेचने का काम भी किया है। ताकि घर में कुछ मदद हो सके। लेकिन इसी दौरान उन्होंने अपनी पढ़ाई की लगन को भी बनाए रखा। और पढ़ाई भी करते रहे।
कोरोना के कारण बंद हो गयी दुकान
उस छोटी सी खैनी गुटके की दुकान से जैसे तैसे निरंजन कुमार के परिवार का खर्चा चल रहा था। लेकिन जल्द ही कोरोना के केहर ने उनसे ये सहारा भी चीन लिया। और उनकी दुकान भी बन हो गयी। क्योकि उस समय देश का हर इंसान परेशान था। और सभी के बिज़नेस पर रोक लग गयी थी। हालांकि गरीब लोगो पर इसका प्रहार बहुत ज्यादा हुआ है। और कुछ समय के बाद निरंजन कुमार के पिता बीमार हो गए, जिस कारण दुकान को बंद रखना पड़ा। जिस कारण से उनकी आर्थिक स्तिथि बहुत खराब हो गयी।
2004 में निरंजन कुमार ने पास की नवोदय की परीक्षा
घर की हालत काफी ख़राब थी। लेकिन पिता ने कभी निरंजन की पढ़ाई बंद नहीं होने दी। और साल 2004 में निरंजन ने नवोदय की परीक्षा पास कर ली। जिससे कि उन्हें मुफ्त और अच्छी शिक्षा मिल सके। निरंजन ने 2006 मे साइंस कॉलेज पटना से इंटर पास किया। और कुछ समय के बाद उन्होंने बैंक से 4 लाख का लोन लिया और IIT-ISM धनबाद से माइनिंग इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल कर ली।
इसे भी अवश्य पढ़े:- पहली ऐसी महिला जो बनी नक्सलवादी क्षेत्र से निकलकर आईएएस अफसर, पहले बनी आईपीएस, फिर आईएएस
निरंजन कुमार ने पास की upsc की परीक्षा
साल 2017 में निरंजन कुमार ने upsc की परीक्षा दी थी। और अपने पहले ही प्रयास में न सिर्फ निरंजन ने इस परीक्षा को पास किया,बल्कि 728 वा रैंक भी हासिल किया। लेकिन निरंजन अपनी इस रैंक से संतुष्ट नहीं थे। इसलिए उन्होंने दोबारा तैयारी की और अपने दूसरे प्रयास में उन्होंने 535 वा रैंक हासिल किया।
इसे भी अवश्य पढ़े:- लाखों की नौकरी छोड़कर शुरू किया खेती का काम, IIT टोपर ये युवक सवार चुका है 35,000 लोगों का जीवन
इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद , ऐसे ही दिलचस्प किस्से जानने के लिए जुड़े रहिये समाचार बडी के साथ, और हमारे फेसबुक पेज को फॉलो करना न भूले!