चंद्रयान 3 : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO ने बताया है कि चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर और लैंडर विक्रम ने अपना अभी तक का काम अच्छी तरह से किया है। चांद पर शिव शक्ति पॉइंट से 100 मीटर की दूरी तय करने के के बाद अब रोवर प्रज्ञान को स्लीप मोड में डाल दिया गया है। अब यह 22 सितंबर को जागेगा और अपना काम पूरा करेगा। पर क्या होगा अगर 22 सितंबर को प्रज्ञान रोवर नहीं चल पाया। इसकी पूरी अपडेट जानने के लिए स्क्रॉल करते रहिए।
चंद्रयान-3 के बारे में
चांद पर खोजबीन करने के लिए चंद्रयान-3 भारत कि चंद्रयान श्रृंखला का तीसरा प्रोजेक्ट है। इसमें चंद्रयान-2 की तरह ही रोवर और लैंडर है। मगर इसमें ऑर्बिटर नहीं है।चंद्रयान-3 का लॉन्च सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (शार), श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई, 2023 शुक्रवार को भारतीय समय अनुसार दोपहर 2:35 बजे हुआ था। चंद्रयान, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास की सतह पर 23 अगस्त 2023 को भारतीय समय अनुसार सायं 06:04 बजे के आसपास सफलतापूर्वक उतर चुका है। और इसी के साथ भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन गया है।
मिशन प्रकार | चंद्र लैंडर तथा रोवर |
संचालक | भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) |
वेबसाइट | चंद्रयान 3 |
मिशन अवधि | लैंड रोवर:<14 दिन प्रज्ञान रोवर:<14 दिन |
प्रक्षेपण तिथि | 14 जुलाई 2023 14:35 |
रॉकेट | एवीएम3एम4 |
कक्षीय निवेशन | 5 अगस्त 2023 |
लैंडिंग | 23 अगस्त 2023 |
क्या होगा प्रज्ञान रोवर का
इसरो ने अब प्रज्ञान को चांद पर ही सुला दिया है क्योंकि उसका अब तक का काम सफलतापूर्वक हुआ है। इसरो ने यह भी जानकारी दी की प्रज्ञान की बैटरी फुल चार्ज है। रोवर पर लगे सोलर पैनल से वह खुद को चार्ज कर सकता है। लेकिन फिलहाल स्लीप मोड में है। इसरो ने ट्वीट करते हुए लिखा…
“वर्तमान में, बैटरी पूरी तरह से चार्ज्ड है। सोलर पैनल को सूर्य की रोशनी प्राप्त करने के मकसद से सेट कर दिया गया है, अगला सूर्योदय 22 सितंबर 2023 को होगा। रिसीवर चालू है।”इसरो ने आगे कहा, “हम उम्मीद कर रहे हैं कि असाइनमेंट का एक और सेट पूरा करने के लिए रोवर फिर जागेगा। नहीं तो, फिर यह वहीं पर हमेशा के लिए भारत के चंद्र राजदूत के तौर पर मौजूद रहेगा।”
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FAQs: चंद्रयान 3
भारतीय लूनर मिशन में चंद्रयान-3 का बजट कितना था?
चंद्रयान-3 का बजट 300 करोड़ इंडियन रुपीस था।
चंद्रयान-3 भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
भारतीय लूनर मिशन चंद्रयान-3 की सफलता से भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन चुका है।