दिन में दुकान का काम, और रात में की पढ़ाई, शुभम गुप्ता का जूते की दुकान से आईएएस तक का सफर

सफलता पाने के लिए व्यक्ति को अथक प्रयास करने पड़ते है। और कई लोग सिर्फ अपनी कई मेहनत और मजबूत होंसले के दम पर वो मुकाम हासिल कर लेते है, जो हम सोच नहीं सकते है। संघर्ष का सफर इतना आसान नहीं होता है, जितना सुनने में लगता है। कहानी एक ऐसे आईएएस अफसर शुभम गुप्ता की जिन्होंने घर की मज़बूरी के चलते एक जूते की दुकान पर काम किया था, और वो दिन में पूरी दुकान सँभालते थे, और रात में अपनी पढ़ाई करते थे। उन्होंने अपनी मेहनत के बलबूते पर ही आईएएस जैसी कठिन परीक्षा पास की थी, और न सिर्फ परीक्षा को पास किया था ,बल्कि उसमे 6 ठी रैंक भी हासिल की थी। आईये जानते है, एक दुकानदार से एक आईएएस बनने तक का सफर कैसा रहा ?

दुकान के बाद शुभम रात को जागकर पढ़ाई करते थे
दुकान के बाद शुभम रात को जागकर पढ़ाई करते थे

 आर्थिक तंगी रही शुरू से ही

बता दे कि शुभम गुप्ता एक ऐसे व्यक्ति है, जिन्होंने शुरू से ही आर्थिक तंगी झेली। उनके माता पिता शिक्षा के महत्व को समझते थे। आमतौर पर पर देखा जाता है कि, जिन बच्चो को सफलता मिलती है, वे या तो अमीर घरो से होते है ,या फिर उनके घर में पढ़ाई लिखे पर ही ज्यादा ज़ोर दिया झाता है। लेकिन शुभम गुप्ता जैसे बच्चो के मामले में ऐसा नहीं है। क्योकि शुभम गुप्ता काफी गरीबी में पले बड़े। और उन्होंने बहुत सी मजबूरियां देखी थी, जिसके कारण उन्हें बहुत परेशानियां हुई ,और घर में खर्चे की मदद के लिए उन्होंने पुरे मन से काम भी किया और पढ़ाई भी की।

शुभम ने अच्छे अंको के साथ ऐसे ही 12 वी भी पास कर ली।
शुभम ने अच्छे अंको के साथ ऐसे ही 12 वी भी पास कर ली।

 महाराष्ट्र में खोली जूते की दुकान

शुभम गुप्ता का बचपन राजस्थान के जयपुर में बीता था। और उनके पिता एक दूकानदार थे। और उन्होंने महारष्ट्र में एक जूते की दुकान खोल ली , जिसके बाद उनका पूरा परिवार भी महारष्ट्र में आ गया था। वहां पर जाकर सबसे पहली दिक्क्त ये थी कि, वहां पर कोई भी हिंदी माध्यम का स्कूल नहीं था, जिसके कारण उन्हें करीब 80 किलोमीटर का रास्ता तय करके पढ़ने जाना पड़ता था ,जिसमे उनकी बहन भी उनके साथ ट्रेन से जाया करती थी। घर की आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए पिता ने एक ओर दुकान खोल ली जिसमे उन्होंने शुभम को बिठाया।

शुभम स्कूल से आने के बाद रोज़ वो नई जूते की दुकान सँभालते थे।
शुभम स्कूल से आने के बाद रोज़ वो नई जूते की दुकान सँभालते थे।

स्कूल से आने के बाद शुभम गुप्ता संभाला दुकान को

शुभम स्कूल से आने के बाद रोज़ वो नई जूते की दुकान सँभालते थे। लेकिन इस बीच उनकी पढ़ाई की ललक कम नहीं हुई, बल्कि वो रात को जागकर पढ़ाई करते थे। और उन्होंने अच्छे अंको के साथ ऐसे ही 12 वी भी पास कर ली। और बाद उन्होंने इकोनॉमिक्स से ग्रेजुएशन की ,और दिल्ली से मास्टर्स।

शुभम ने दो बार पास की थी यूपीएसी परीक्षा
शुभम ने दो बार पास की थी यूपीएसी परीक्षा

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शुभम गुप्ता दो बार पास की थी यूपीएसी परीक्षा

शुभम गुप्ता ने अपनी यूपीएसी की तैयारी शुरू कर दी। और उन्होंने साल 2015 में अपना पहला एटेम्पट दिया, जिसमे उन्हें सफलता नहीं मिली ,लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी, और दोबारा कोशिश की, इस बार शुभम को 366 वी रैंक के साथ ‘इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट सर्विस’मिली, लेकिन वो खुश नहीं थे, और फिर से उन्होंने प्रयास करके तीसरी बार में दूसरी बार न सिर्फ यूपीएसी की परीक्षा पास की, बल्कि उसमे 6 ठी रैंक भी हासिल की।

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