गरीबी के कारण पढ़ाई छोड़ दी, घर को संभालना था, तो छोटी मोटी नौकरी तक की, मुंबई आकर बदल ली किस्मत, आज है अरबो के मालिक

सफलता का सफर उतना आसान भी नहीं होता, जितना हम सोच लेते है। और सफलता की कहनियां सुनने में तो आसान लगती है, लेकिन असल में वो कहानियां गढ़ने वाले हीरो ही कहलाते है। और संघर्ष से भरी हुई दास्ताँ हमे बहुत कुछ दिखाती है। और जीवन के असली मायने हमे संघर्ष से ही समझ आते है। और जो इन्हे समझ लेता है। वही जीवन के असली मायने समझ लेता है। और कहते है न कि ईश्वर उन्ही का साथ देता है, जो स्वयं का साथ देता है। इसलिए हमे ईश्वर और मेहनत पर पुरा भरोसा रखना चाहिए। फिर चाहे कुछ भी हो जाये। हिम्मत का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। आज कहानी एक ऐसे इंसान की प्रेम गणपति ने संघर्ष करके अपने आप को स्थापित किया। और आज करोड़ो के मालिक बन गए है। प्रेम गणपति नाम का ये व्यक्ति आज करोड़ो नहीं बल्कि अरबो का मालिक बन गया है।

 प्रेम गणपति का जन्म तमिलनाडु के तूतीकोरिन जिले के नागलपुरम में हुआ था।
प्रेम गणपति का जन्म तमिलनाडु के तूतीकोरिन जिले के नागलपुरम में हुआ था।

तमिलनाडु के रहने वाले है प्रेम गणपति

बता दे कि प्रेम गणपति का जन्म तमिलनाडु के तूतीकोरिन जिले के नागलपुरम में हुआ था। और ये बहुत ही गरीब परिवार में जन्मे थे। और इसके पास शुरू से ही सुविधाओं की कमी रही है। और गरीबी के कारण प्रेम गणपति 10 वी की पढ़ाई भी बीच में ही छोड़नी पड़ी थी। 7 भाईओ बहनो की जिम्मेदारी होने की वजह से उन्होंने परिवार के कहने पर अपनी पढ़ाई छोड़ दी। और कमाई के लिए निकल पड़े थे। जिसके बाद से उन्हें काफी परेशानियां हुई। वो भी इस उम्र मे। जिस उम्र में बच्चे पढ़ाई करते है ,और भविष्य की राह निर्धारित करते है उस उमर में गणपति ने घर में हाथ बटाया।

गणपति ने मुंबई में 150 रुपए के वेतन पर मांझे बर्तन
गणपति ने मुंबई में 150 रुपए के वेतन पर मांझे बर्तन

प्रेम गणपति मुंबई में 150 रुपए के वेतन पर मांझे बर्तन

बता दे कि सबसे मुश्किल दौर तो तब आया जब साल 1990 में 17 साल की उम्र में मुंबई आ गए। लेकिन यहाँ पर शुरुआत में उनकी किस्मत खराब हो गयी। उनके किसी रिश्र्तेदार ने हि उनसे फसाकर पैसे ठग लिए। उसके बाद शुरू हुआ असली संघर्ष। क्योकि सबसे बड़ी बात थी कि, उनके पास जेब में बिलकुल भी पैसे नहीं थे जिसके बाद उन्हें बहुत सी दिक्क्तों का सामना करना पडा। फिर उन्हें खर्च चलाने के लिए एक ढाबे में काम करना पड़ा। जहाँ पर उन्हें 150 रुपए के वेतन पर बर्तन धुलने के लिए रखा गया था।

हाथो का हुनर ले गया आगे

गणपति जो कि तमिलनाडु के थे ,तो उन्हें डोसा इडली बनाना भी आता था। और दो साल बर्तन धुलकर बचाए हुए पैसो से उन्होंने एक ठेला लगाया। जिसके बाद उनकी कमाई अच्छी होने लगी। लेकिन कुछ ही टाइम के बाद उनका ये ठेला लाइसेंस न होने की वजह से हटा दिया गया।

साल 1997 में प्रेम गणपति न डोसा प्लाजा कि शुरुआत की।
साल 1997 में प्रेम गणपति न डोसा प्लाजा कि शुरुआत की।

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खोल लिया डोसा प्लाजा

साल 1997 में प्रेम गणपति न डोसा प्लाजा कि शुरुआत की। ठेले से बचाय हुए पैसो से उन्होंने ये स्टार्ट अप किया। आज उनका ये स्टार्ट के कई आउटलेट्स भी खुल चुके है। और उनकी बहुत सी ब्रांचेज पुरे भारत में है। वो आज करोड़ो का नहीं बल्कि अरबो का व्यापार बना चुके है।

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