आजकल देश के कई युवा आईएएस pcs की तैयारी करते है। और इसके लिए बहुत सारा संघर्ष और लगन की ज़रूरत पड़ती है। और गरीबी में भी कई कहानियाँ ऐसी निकलकर आती है। जो हमे प्रेरणा देते है। ऐसी ही एक कहानी है वसीमा शेख की। जो कि महाराष्ट्र की रहने वाली है। और उनकी माता जी ने उन्हें बहुत संघर्ष और मेहनत करके पढ़ाया है। उनकी माता जी घर घर जाकर चूड़ियां बेचने का काम करती थी। और उनके भाई ने भी उन्हें रिक्शा चलकर पढ़ाया था ,जिसका फल उन्होंने डिप्टी कलेक्टर बनकर दे दिया है। वसीमा शेख ने बहुत मुश्किल भरे दिनों में अपने आप की एक पहचान बनाने के लिए घोर संघर्ष किया। और इतिहास रच ही दिया उन्होंने महाराष्ट्र पब्लिक सर्विस कमीशन (एमपीएससी) में महिला टॉपर्स की लिस्ट में सातवां स्थान प्राप्त किया है। और उन्होंने पुरे देश का ही नहीं बल्कि अपने परिवार का भी नाम रोशन किया है।
महाराष्ट्र के छोटे से गाँव की रहने वाली है वसीमा शेख
बता दे कि, वसीमा शेख महाराष्ट्र के एक छोटे से गाँव जोशी सांगवी की रहने वाली है। जो कि जिला नादेंड में स्तिथ है। उन्होंने बहुत ही मुश्किल परिस्थियो में पढ़ाई की। और सफलता हासिल की है। आज उनकी मेहनत रंग ला ही गयी , और वो अपने परिवार की गरीबी को मिटाने में सफल हो गयी है। वसीमा उन लोगों के लिए एक जीता जगता उदाहरण है, जो ये सोचते है, कि गरीबी में हालत सही नहीं हो सकती। और उन लोगों के लिए भी एक प्रेरणा का काम किया है, जो कि हर वक़्त अपनी किस्मत को कोसते रहते है।
माँ ने बेचीं चूड़ियां, तो भाई ने चलाया ऑटो रिक्शा
बता दे कि, वसीमा की माता जी ने गरीबी में किसी के खेत में जाकर काम भी किया है। और घर का खर्च चलाने के लिए उन्होंने घर घर जाकर चूड़ियां भी बेचती थी। और घर में किल्ल्त के होते हुए भी उन्होंने वसीमा की पढ़ाई पर कोई बात नहीं आने दी । और वसीमा पर कोई बोझ न पड़े, उनके भाई ने भी पुणे में दिन रात रिक्शा चलाकर वसीमा को पढ़ाया। और घर का खर्च भी चलाया।
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हासिल की परीक्षा में सफलता
वसीमा में साल 2018 म,इ में परीक्षा दी की थी। और उन्होंने न सिर्फ उस परीक्षा को पास किया ,बल्कि उस परीक्षा के ही आधार पर उन्हें सफलता के बाद सेल्स टैक्स अफसर के तौर पर चुन लिया गया। वसीमा अपनी इस सफलता का श्रेय अपने भाई और माँ को देती है। जिन्होंने इतनी मुश्किल समय में उसे टूटने नहीं दिया।
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