कभी 80 रुपए की मज़दूरी पर करते थे काम, पिता ने जुते मरम्मत करके चलाया घर को, उस एक निर्णय ने बदल दी ज़िंदगी

संघर्ष जीवन क एक हिस्सा है, और संघर्ष जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है। और उतार चढ़ाव भी जीवन में आते ही रहते है। और ये हमारे ऊपर होता है, कि हम उनसे कैसे उभरकर आगे आते है। ऐसे ही कुछ इंसानो की कहानियां हम सुनते रहते है। और हम अपने ही आसपास कई उदाहरण देख सकते है। और जीवन के इस हिस्से को समझ सकते है , कि संघर्ष जीवन का हिस्सा है। और हमे इससे सीखना है। ऐसी ही एक उदाहरण है हरी किशन पिप्पल जी का। हरिकिशन पिप्पल ने गरीबी में बचपन में जीवन गुज़ारा ,और बचपन से हर मज़बूरी को समझा। उन्होंने मजबूरी के चलते मात्र 80 रुपए की मज़दूरी पर काम किया। और रिक्शा तक चलायी। उनके पिता जुते ठीक करके बेचते थे। और उन्हें मरम्मत करने का काम करते थे।

 हरी किशन पिप्पल जी को घर की गरीबी और मज़बूरी के चलते छोटी सी उम्र में मज़दूरी करनी पड गयी थी
हरी किशन पिप्पल जी को घर की गरीबी और मज़बूरी के चलते छोटी सी उम्र में मज़दूरी करनी पड गयी थी

हरिकिशन पिप्पल छोटी उम्र में करनी पड़ गयी थी मज़दूरी

बता दे कि, हरी किशन पिप्पल जी को घर की गरीबी और मज़बूरी के चलते छोटी सी उम्र में मज़दूरी करनी पड गयी थी। और बहुत ही कम उम्र में उनके ऊपर जिम्मेदारियो का भार पड़ गया था। लेकिन उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी थी। क्योकि उन्हें पता था कि, पढ़ाई भी ज़रूरी है। उनके पिता एक दुकान चलाते थे ,जिस पर वो जूतों की मरम्मत करने का कार्य करते थे। और इसी से उनका घर चलता था। हरिकिशन ने बहुत बुरा समय देखा, लेकिन अपने आप को टूटने नहीं दिया।

 हरी किशन के पिता जी अचानक से बीमार पड़ गए थे, उन्हें दुकान बंद करनी पड़ी थी।
हरी किशन के पिता जी अचानक से बीमार पड़ गए थे, उन्हें दुकान बंद करनी पड़ी थी।

पिता जी बीमार हो गए, तो दुकान भी बंद हो गयी

बता दे कि, उनके पिता जी अचानक से बीमार पड़ गए थे। जिसके कारण उन्हें दुकान बंद करनी पड़ी थी। और उसके बाद उनके घर का खर्च चलाना बहुत मुश्किल हो गया था। और ऐसे में पिता जी का इलाज करवाना भी बहुत मुश्किल हो गया था। और सारी जिम्मेदारियां हरी किशन के सर आ गयी थी। और फिर उन्होंने अपने किसी रिश्तेदार की मदद से रिक्शा चलाकर शुरू काम किया। और किसी तरह से उन्होंने सारी जिम्मेदारी संभाली। ऐसे मे कुछ समय के बाद उनके पिता का अचानक निधन हो गया। और उनकी माता जी ने कुछ समय बाद उनका विवाह करवा दिया। और इसके बाद उन्हें ओर पैसो की ज़रूरत महसूस हुई। और उन्होंने साल 1975 में फिर से अपनी बंद पड़ी दुकान फिर से खोली। लेकिन घर के कुछ विवादो के कारण उन्हें घर छोड़ना पड़ा।

हरी किशन करीब 100 करोड़ की समंपत्ति के मालिक है।
हरी किशन करीब 100 करोड़ की समंपत्ति के मालिक है।

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खोल दी 100 करोड़ की कम्पनी

उनका जूते बनाने का काम सभी को आ काफी पसन्द आने लगा। धीरे धीरे उन्हें बहुत से ऑर्डर्स मिलने लगे। और उन्हें एक कम्पनी से जब 10 हज़ार जूते बनाने का आर्डर मिलने लगा। तो उन्होंने फिर अपनी किस्मत बदली। मुनाफा कमाने लगे। यही नहीं उन्होंने हेल्थ केयर में भी अपना बिज़नेस शुरू किया। और अपना व्यापार जमाने लगे। आज वो करीब 100 करोड़ की समंपत्ति के मालिक है।

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