ज़िंदगी में कई बार ऐसा समय आता है, कि जब हमे हर छोटा काम भी करना पड़ता है। लेकिन ये हम पर निर्भर करता है कि हम अपने सपनो के लिए कितना संघर्ष करते है ,.और उनके लिए कितना प्रयास करते है। राजस्थान में जन्मे एक युवक विजय सिंह गुर्जर के सपने भी कुछ ऐसे ही थे। उन्होंने अपने परिवार को जिम्मेदारी उठाते हुए भी अपनी पढ़ाई पर ध्यान दिया। और सफलता हासिल की थी। और एक नई सफलता की तकदीर लिख दी। उन्होंने पहले अपने कड़े प्रयासों से एक एक कांस्टेबल का पद प्राप्त किया ,और उसके बाद उन्होंने ओर भी मेहनत से और लगन से आईपीएस बनकर सफलता हासिल की है। जो वाकई ही कबीले तारीफ़ है। आईये जानते है उनके इस सफर के बारे में।
राजस्थान के है विजय सिंह गुर्जर
बता दे कि, विजय सिंह गुर्जर का जन्म राजस्थान में हुआ था। और ये बहुत ही गरीब परिवार में जन्मे थे। और पिता जी किसानी किया करते थे ,और इनकी माता जी एक साधारण गृहिणी थी। विजय सिंह गुर्जर 5 भाई बहन थे। वे तीसरे नंबर के थे। और उन्होंने गरीबी के चलते बहुत सी मुश्किलों को देखा और उन्ही हालातो में जीवन जीया है। और विजय अपने मुश्किल भरे दिनों में अपने पिता का हाथ बंटाया करते थे। और उनके साथ खेती बाड़ी और पशुपालन का भी काम किया करते थे।
खेती के साथ साथ करते थे ऊँटो की ट्रेनिंग
विजय सिंह गुर्जर जी के लिए सबसे बड़ी परेशानी थी, कि उनके घर में सिर्फ खेती करके गुज़ारा नहीं चल पाता था। क्योकि 5 भाई बहन थे। और परिवार भी बड़ा था। तो खर्चा नहीं निकल पाता था। इसलिए विजय सिंह गुर्जर ऊंट को ट्रैन करने का भी काम करते थे। जिसके कारण वे उन्हें खेती के लिए प्रशिक्षित करते थे। और उन्हें मेलो में बेच दिया करते थे। इस तरह से घर की हालत में कुछ सुधार हो पाता था। विजय की सबसे अच्छी बात ये रही, कि इन्होने कभी भी हार नहीं मानी। और खुद से जो भी संघर्ष करना पड़ा, वो किया। और सफल रहे थे।
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पहले बने कांस्टेबल फिर बने आईपीएस अफसर
विजय सिंह पढ़ाई में अच्छे थे। इसलिए उन्होंने अपनी सारी शिक्षा पूरी करके दिल्ली जाने का फैसला लिया। और अपने एक दोस्त के बताये जाने पर उन्होंने कांस्टेबल की तैयारी शुरू कर दी। और उन्होने उस परीक्षा को पास भी कर लिया। लेकिन उनके मन में कुछ और बेहतर और बड़ा करने की टीस थी। जो उन्हें आगे ले गयी । उन्होंने यूपीएसी की तैयारी करने की ठानी। और उसमे सफलता हासिल की। और 201 रैंक के साथ उस परीक्षा को पास किया और आईपीएस बन गए।
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