दिन में अंडे बेचे, और रात को की घंटो पढ़ाई, बिहार के इस लाल ने अपनी तीन असफलताओ के बाद पास की यूपीएसी परीक्षा

इंसान अपने सपने को हकीकत बनने के लिए क्या क्या जतन नहीं करता है। वह हर संभव वो काम करता है। जो हमे सुनने में मुश्किल लगता है। कई लोगों की सफलता की कहानिया हम आये दिन सुनते रहते है। और उनकी संघर्षो के बारे में जानते है। और उन्हें समझते है और हम देश की सबसे कठिन माने जाने वाली यूपीएसी की परीक्षा के बारे में भी सुनते ही रहते है। जिसमे अक्सर वही बच्चे छाय रहते है। जिन्होंने सफलता तो प्राप्त की हो, लेकिन कुछ अलग और अनोखे ढंग से। उन्ही में से कोई या मज़दूर एक बेटा होता है। या फिर कोई गरीब परिवार का बच्चा होता है ,.जिसने साधनो के अभाव में रहकर भी अपने मेहनत में संघर्ष से रंग भरा दिया हो, और सफलता पायी हो। ऐसे ही एक शख्स है बिहार के रहने वाले मनोज कुमार रॉय जी ,जिन्होंने दिल्ली में रहकर अपनी पढ़ाई की। और खर्चा चलाने के लिए अंडे भी बेचे। और अपने सपने जो को हकीकत करके दिखाया।

बिहार में जन्मे इस लाल का नाम है मनोज कुमार रॉय है
बिहार में जन्मे इस लाल का नाम है मनोज कुमार रॉय है

बिहार से गए दिल्ली में

बिहार में जन्मे इस लाल का नाम है मनोज कुमार रॉय जिन्होंने अपने कड़े प्रयासों के बल पर ये सफलता प्राप्त की है। और आज एक अफसर के रूप में कार्यरत है। बिहार में जन्मे मनोज का जन्म एक गरीब और साधारण परिवार मे हुआ था। लेकिन जीवन में कुछ बड़ा करना था। तो उन्होंने अपने बिहार से दिल्ली जाकर पढ़ाई करने का फैसला लिया। वो जितने पैसे लेकर घर से निकले थे। वो सब शुरू में ही कोचिंग की फीस में ही खर्च हो गए थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और…

मनोज ने खर्चा चलाने के लिए लगा ली अंडे की रेहड़ी
मनोज ने खर्चा चलाने के लिए लगा ली अंडे की रेहड़ी

और लगा ली अंडे की रेहड़ी

कहते है कि, मेहनत करने वाला इंसान हर काम कर सकता है। और समय अगर बुरा हो तो आपको अपने खर्चे के लिए हर काम करना पड सकता है। ऐसा ही कुछ हुआ मनोज के साथ भी। उनका समय इतना बुरा था, कि उन्हें अपना खर्चा बचाने के लिए अंडे भी बेचने पड़े थे। क्योकि जो पैसे वो लाये थे। वो सारे उनके कोचिंग की फीस में खर्च हो गए थे ,इसलिए उन्हें अंडे भी बेचने पड़े।

मनोज अपने चौथे प्रयास में बन गए अफसर
मनोज अपने चौथे प्रयास में बन गए अफसर

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मनोज कुमार रॉय चौथे प्रयास में बन गए अफसर

मनोज ने अपने निरंतर प्रयास से हर संभव मेहनत की और आखिर में साल 2010 में उन्होंने एक अपने लक्ष्य को पा ही लिया। और अपने चौथे प्रयास में सफलता प्राप्त कर ली। और अच्छी रैंक के साथ उन्होंने यूपीएसी की परीक्षा पास कर ली और अफसर बन गए।

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