सड़को पर भीख मांग रहे बच्चो के लिए बन गए मसीहा, हाथ से कटोरा लेकर थमा दी किताबे, दे रहे है नई भविष्य की राह

कहते है कि शिक्षा एक ऐसा हथियार है, जिससे हम हर मुश्किल को हरा सकते है। और इसके ज़रिये हम अपना भविष्य भी बदल सकते है। वाकई शिक्षा का जीवन में बहुत महत्व है क्योकि, न सिर्फ गरीबी जैसे अभिशाप को मिटाया जा सकता है। बलकी हर तरह से आपने आप को सफल बनाने का गुण शिक्षा में होता है।और व्यक्ति अगर हिम्मत करके शिक्षित हो पाय, तो शिक्षा एक बेहतर मसीहा साबित हो जाती है। इसी के महत्व को समझते हुए राजस्थान के एक पुलिस कांस्टेबल धर्मवीर जाखड़ एक बेहतर उदाहरण पेश कर रहे है। और समाज के लिए भी एक प्रेरणा बन गए है। धर्मवीर जाखड़ नाम का इस सिपाही धर्मवीर जाखड़ ने सेकड़ो बच्चो का जीवन संवार रहे है। धर्मवीर जाखड़ ने करीबन 40 भीख मांगने वाले बच्चो के लिए इस स्कूल की शुरुआत की थी। जिसका नाम है “अपणी पाठशाला” जिसमें आज की तारिक में करीब 500 बच्चे पढ़ते है ,और शिक्षा हासिल कर रहे है।

जब धर्मवीर चुरू में तैनात थे dhrmveer jakhad
जब धर्मवीर चुरू में तैनात थे dhrmveer jakhad

जब धर्मवीर चुरू में तैनात थे

ये बात तब की है, जब धर्मवीर जाखड़ राजस्थान के चुरू में अपनी ड्यूटी कर रहे थे। और उन्होंने 2015 में द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा के लिए छुट्टी ली हुई थी , वही दिसंबर के महीने में कुछ बच्चो की आवाज़े सुनी। जो कि उस सर्द भरे मौसम में भीख मांग रहे थे। और उन्हें उनसे बात करके पता चला कि, वह बहुत गरीब है। और उन्हें अपना गुज़ारा करने के लिए भीख पड़ रही है। और उसी समय से ही धर्मवीर का मन पसीज गया था। और वे अपने कुछ साथियो के साथ उन व्च्चो की बस्तीयो में जा पंहुचे। वहां जाकर उन्हें ये पता चला कि कुछ बच्चो के तो माता पिता ही नहीं रहे और कुछ बच्चे बहुत ज्यादा गरीब है। जिसके कारण उन्हें भीख मांगनी पड रही है।

1 january शुरुआत हुई "अपणी पाठशाला" की
1 january शुरुआत हुई “अपणी पाठशाला” की

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धर्मवीर जाखड़ शुरुआत हुई “अपणी पाठशाला” की

1 जनवरी 2016 उन भीख मांगते बच्चो के लिए एक रौशनी का नया आगाज़ हुआ । क्योकि इसी दिन धर्मवीर जाखड़ ने उन गरीब बच्चो के लिए “अपणी पाठशाला” की शुरुआत की थी। और उनके लिए वे आज भी उनका भविष्य संवारने वाले मसीहा बन गए है। उस समय उनके इस स्कूल में करीब 40 बच्चो के लिए पढ़ने की व्यस्था थी। और आज करीब 500 बच्चे इस स्कूल में पढ़ रहे है। धर्मवीर जी के इस काम को सलाम है।

 "अपणी पाठशाला" आज करीब 500 बच्चे इस स्कूल में पढ़ रहे है।
“अपणी पाठशाला” आज करीब 500 बच्चे इस स्कूल में पढ़ रहे है।

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