जब ज़िंदगी इम्तिहान लेती है, तो कुछ बेहतर परिणाम देने के लिए ही देती है। और फिर मुश्किल चाहे तूफ़ान से भी ज्यादा मुश्किल क्यों न हो, यदि इंसान का होंसला सबसे ज्यादा मजबूत है, तो उसे कोई भी नहीं रोक सकता है , सफलता तक पहुंचने के लिए। वेसे सफलता के सफर में किस्मत का साथ होना भी ज़रूरी होता है। और कोशिश करते रहना इंसान का कर्त्तव्य होना चाहिए, ताकि कल को कोई ये न बोल सके, कि हमने प्रयास नहीं किया। और खुद ही खुद के कमियों की वजह से मिली असफलता को कोसते रहते है। और आगे बढ़ने के बारे में नहीं सोचते है। चाहे फिर कुछ भी हो जाए। कई लोग स्वयं में ही नकारात्मक हो जाते है। आज हम आपको दुनिया की सबसे ज्यादा माने जाने वाली शॉपिंग साइट स्नैपडील की सफलता की कहनी से रूबरू करवाने वाली है, जिनके संसाथापक कुणाल बहल, पहले माता पिता की इच्छा पर एक इंजीनियर बनना चाहते थे। लेकिन उनके कई बार प्रयास करने के बाद भी वह नहीं बन पाय। लेकिन उन्होंने सफलता का दूसरा रास्ता ढूंढा। और बन गए देश की महंगी कम्पनी के मालिक।
मध्यम परिवार में जन्मे थे कुणाल बहल
बता दे, कि आज 1000 करोड़ की कम्पनी के मालिक बन चुके कुणाल बहल एक मध्यम और साधारण परिवार से ताल्लुक रखते है। और वो बेहद ही सदा जीवन जीया करते थे। घर की सामान्य ज़रूरत ही पूरा होना बहुत बड़ी बात थी। लेकिन उन्होंने अपनी असाधारण मेहनत से एक साम्राज्य स्थापित कर दिखाया। और आज करीब 1000 करोड़ के मालिक भी बन गए है।
माता पिता चाहते थे इंजीनियर बने
जैसे सामान्य तौर पर कोई भी माता पिता चाहता है कि, उनका बेटा कुछ पढ़ लिखकर बड़ा बने , और कुछ अच्छा करे। वैसे ही कुणाल के माता पिता भी यही चाहते थे कि, कुणाल भी बेहतर कार्य करे।और इंजीनियर बने। और कुणाल ने इसके लिए प्रयास किया भी लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। तो उन्होंने सफलता का दूसरा रास्ता अपनाया।
इसे भी अवश्य पढ़े:-साधारण जीवन है, और उच्च व्यापार, दादा के साथ बेचते थे कभी कपड़े, और आज दे रहे है फैशन को नई पहचान
साल 2010 में शुरुआत की स्नैपडील की
काफी मशहक्त के बाद कुणाल ने अपना खुद का कोई कार्य करने के बारे में सोचा। और अपने दोस्त रोहित बंसल के साथ मिलकर शुरुआत की स्नैपडील की। और ये एक तरह की इ- कॉमर्स वेबसाइट है। जिसमे उन्होने ऑनलाइन साइट की कई म बारीकियों को शमिल करके कई बदलाव किये। और आज उनके करीब 4 लाख से ज्यादा सेलर्स है। और उनका ये काम 6000 से भी ज्यादा शहरो में काम चलता है। और उनका टर्न ओवर भी करोड़ो मे है।
इसे भी अवश्य पढ़े:-नेत्रहीनता की बाधा में माँ को बना लिया आँखे, यूपीएसी की तैयारी की, माँ ने लिखी कॉपी, और बन गए देश के 7 वे टॉपर
ऐसे ही दिलचस्प किस्से जानने के लिए जुड़े रहिये समाचार बडी के साथ, और हमारे फेसबुक पेज को फॉलो करना न भूले