भारत में अलग अलग देवी देवताओं की अलग अलग खासियत, उनके रूप में छलकती हे उनकी!!

भारत के कई प्रकार के देवी देवता हैं जिनके विशेष दिन होते हैं और भारत शायद इन्हीं के कारण ही उत्सवधर्मी देश कहलाता हे और वर्ष भर यज्ञ अनुष्ठान होते रहते हैं। जिनमे साधना, संयम, भक्ति का विशेष विधान हे जिससे भक्तों की कई सारी मन्नतों की आस होती हे। यहां पर अलग अलग उद्देश्य के लिए अलग अलग देवताओं की पूजा का विधान हे। इन्ही में से कुछ बड़े देवता हैं जिनकी पूजा विशेष उद्देश्य की पूर्ती के लिए किया जाता हे (भारत में  देवी देवता )।

भगवान् शिव

भगवान् शिव
भगवान् शिव

भगवान् शिव को देवों का देव भी कहा जाता हे जो दुनिया की रक्षा के लिए विश को अपने कंठ में धारण कर दिए। उन्हें महाकाल भी कहा जाता हे जिसका अर्थ हे वे समय से परे हैं और भगवान् शिव सभी विधाओं और शक्तियों के स्वामी हैं लेकिन खुद विषमता भरे प्रदेश हिमालय में रहते हैं।

शिव का मंत्र   ॐ नमः शिवाय

माँ दुर्गा

माँ दुर्गा
माँ दुर्गा

माता दुर्गा दुष्टों का अंत करने वाली शक्ति के रूप में जानी जाती हैं जो सारे देवताओं की शक्ति को खुद में समाहित किये हुए हैं और अपार ऐश्वर्या से युक्त हैं। यह देवी पूर्णता को दर्शाती हे कि स्त्री स्वयं में शक्तिशाली हे जो समय आने पर अस्त्र उठाकर दुष्टों का संहार भी कर सकती हे।

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माँ दुर्गा का मंत्र   ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै

ज्ञान की देवी सरस्वती

महालक्ष्मी, देवी सरस्वती
महालक्ष्मी, देवी सरस्वती

सरस्वती ज्ञान विज्ञान की देवी हैं जो संगीत, कंठ, वाणी,की देवी भी हैं विधार्थी विशेष तोर से इन देवी की पूजा करते हैं। जिनके ध्यान से उनकी बुद्धि मन एकाग्र होता हे विधा की देवी की पूजा कई सारे प्रतिष्ठित संस्थान अपने शिक्षा क्रम की शुरुआत से पूर्व करते हैं और वहा के सारे छात्र और कर्मचारी इस बात से सीख लेते हैं, भारत में  देवी देवता की अलग अलग खासियतें।

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मंत्र     ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः।

महालक्ष्मी

धन धान्य की देवी माता लक्ष्मी को माना जाता हे जो धन में वास करती हैं और जिन पर इनकी कृपा होती हे उसके पास धन की कमी नहीं होती हे। जिसके लिए माता को प्रसन्न करने के लिए तरह तरह के यतन किये जाते हैं। कोई माता का पूजन उल्लू वाहन के साथ करता हे तो कोई लक्ष्मीनारायण के रूप में।

भगवान् राम

भारत में देवी देवता
भारत में देवी देवता

भगवान् राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता हे वे मन, वचन, और कर्म से किसी भी काम को करते थे। किसी भी प्रकार का अहंकार नहीं था इसलिए शबरी के जूठे बैर खाये , पिता के वचनों का मान रखने के लिए चोदह वर्ष वन में बिताये जो लोकजीवन में बहुत बड़ी सीख दे गया और लोगों ने अपने बच्चों को संस्कारी बनाने के लिए भगवान् के चरित्र के बारे में बताते हैं।हमारे इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए आप सबका धन्यवाद और इस प्रकार की ओर भी रोचक खबरे जानने के लिए हमारी वेबसाइड ”Samchar buddy” से जुड़े रहे।

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