चारों तरफ पहाड़ियों एवं वनों से भरा झारखंड, ये प्रकृति का मनोरम स्थल है। एक बार जो यहां आता है फिर यहीं का होकर रह जाना चाहता है ।यहाँ की स्वर्णिम भूमि वन-संपदा से संपूर्ण है, इसकी प्रकृति छटा अनूठी है। झारखंड में चावल और गेहूं दोनों फसलें होती है।आदिवासी चावल और पक्षियों के मांस में बेहद रुचि रखते हैं। यहां के लोगों का जीवन अधिकतर जंगल पर ही निर्भर रहता है। यहां लोग जंगलों का दौरा करते हैं .और औषधीय, पत्ते, लकड़ी आदि इकट्ठा करके अपने आजीविका के लिए तरह-तरह के सामानों का निर्माण करते हैं। (रगड़ा मशरूम)
और क्या बनाता है झारखंड को खास?
झारखंड में बहुत ही सुंदर जलवायु है। क्योंकि चारों तरफ हरियाली और पेड़ पौधे हैं । इसलिये ही अधिक वन संपदा के होने के कारण वहां की जलवायु और वातावरण सभी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता हैं। इसके साथ कोयला और अभ्रक की खाने है। वहां के जंगलों में विभिन्न प्रकार के पेड़ और उनकी सुखी लकड़ियां, फलों से लदे हुए वृक्ष, फूलों पर बैठी हुई तितलियां और बहुत ही दर्शनीय नदी, वहां के मनमोहक मैदान, पर्वत ,पहाड़ और भोले भाले आदिवासी समुदाय के लोग और इसके साथ बहुत सुंदर-सुंदर वहां की घाटियां और उन में बहने वाले झरने सभी लोगों को अपनी और आकर्षित करते है। इसीलिए झारखंड भारत के ही नहीं, बल्कि विश्व के लोगों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र है।
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झारखंड में मिलता है एक दुर्लभ प्रकार का मशरूम (रगड़ा मशरूम)
आपने आज तक कई तरह का मशरुम खाया होगा, और देखा भी होगा ,लेकिन ऐसा मशरूम जो कि, सिर्फ झारखंड में मिलता है ,यह आपने कहीं नहीं देखा होगा ।इसके उद्पादन से किसान लाखों कमाते हैं। और यह मशरुम बहुत ही पौष्टिक होता है। यहां की धरती पर साल में एक बार, पेड़ के नीचे एक दुर्लभ प्रकार का मशरूम तैयार होता है जिसे रगड़ा मशरूम कहा जाता है। वैसे तो मशरूम मिट्टी के ऊपर ही उत्पादित होते हैं परंतु यह एक ऐसा मशरूम है, जो सिर्फ धरती के अंदर ही उत्पादित होता है। जी हां दोस्तों आपने सही सुना है कि, धरती के अंदर ही उत्पादित होता है। इसलिए यह ओर भी ज्यादा पौष्टिक होता है। क्योंकि इसमें धरती के सारे पोषक तत्व मिल जाते हैं जो, किस को और भी ज्यादा स्वादिष्ट और पौष्टिक आहार बनाता है।
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