बिहार के छोटे से गांव से निकले पकज को आज हर इंसान जानता हैं।अपने बेहतरीन अभिनय के चलते पंकज त्रिपाठी आज पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवा चुके हैं।किसान परिवार से आने वाले पंकज की बॉलीवुड यात्रा तो अविश्वसनीय है ही लेकिन उनकी प्रेम कहानी भी किसी बॉलीवुड फिल्म से कम नहीं है।ये कहानी है ऐसे ही एक शख्स की जो कुछ इसी तरह की सोच लेकर सालों पहले बिहार के गोपालगंज में बेलसंद के एक छोटे से गांव से मुंबई आया।एक ऐसा शख्स जिसने मुश्किल भरे दौर में भी निराशा को खुद तक पहुंचने नहीं दिया।ये कहानी हैं जबरदस्त कलाकार और डिजिटल दुनिया में ‘कालीन भैया’ के नाम से पहचाने जाने वाले पंकज त्रिपाठी की।बात उन दिनों की है जब पंकज दसवीं क्लास में पढ़ा करते थे। उसी समय पंकज ने अपने मन में सोच लिया था कि वह कोई रूटीन काम नहीं करेंगे, प्रेम विवाह करेंगे और अपनी शादी में दहेज नहीं लेंगे क्योंकि उनके गांव में किसी ने भी कभी प्रेम विवाह नहीं किया था।वो कहते हैं ना कि ‘कामयाबी उन्ही को हासिल होती है जिनकें हौसलों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।
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‘कालीन भैया’ को असल जिंदगी में
पंकज अभी भी उस पल को याद करते हैं, जब 1993 में शुक्रवार की रात को, उन्होंने पहली बार उसे देखा था।पंकज बताते हैं कि ‘वह मेरी बहन की शादी थी और मैंने मृदुला को छत की बालकनी पर देखा और खुद से कहा की।
यही वो लड़की है जिसके साथ मैं अपना सारा जीवन बिता सकता सकता हूं, पर मुझे तब यह भी नहीं पता था कि वह कौन थी, या उस समय उसका नाम क्या था।पंकज को मृदुला से बिना देखे ही प्यार हो गया था और वो उनकी याद में गाने सुनकर रोया करते थे।
मृदुला के इश्क में कुछ यूं हुए थे ‘गिरफ्तार
एक इंटरव्यू के दौरान एक्टर ने अपनी प्रेम कहानी को साझा करते हुए बताया कि ‘1992 में सुलभ शौचालय बनाना था।मेरे गांव से उनके गांव एक राजमिस्त्री सुलभ शौचालय का एस्टीमेट देने गया कि कितना सीमेंट लगेगा और कितना छड़ लगेगा।
उस समय मेरे भाई सुलभ शौचालय के एक्सपर्ट हुआ करते थे। उन्होंने ही मिस्त्री को भेजा था। मिस्त्री का नाम मुख्तार था. मुख्तार ने उनके घर जाकर शौचालय का एस्टीमेट दिया और घर आकर मुझे बताया कि उधर एक लड़की है एकदम हिरण की माफिक।बस फिर क्या था उधर उसने शौचालय का एस्टीमेट दिया और इधर मुझे जिंदगी का।
‘पहली बार उससे मुलाकात मेरी बहन के तिलक में हुई। हम तिलक पर बैठे थे और उसी घर में शादी हो रही थी।मेरे हाथ में नारियल, पान का पत्ता और सिर पर रुमाल था। आंगन में करीब 200-250 लोग थे. पंडित जी मंत्र पढ़ रहे थे और मैं इधर-उधर देख रहा था कि वो हिरन दिख नहीं रही जिसका जिक्र हुआ था। अचानक ऐसा लगा कि भीड़ खत्म, मैं अकेला नारियल लिए बैठा हूं और वो खाली आंगन में अकेले चलते हुए आईं और कुलाचे भरते हुए चली गईं। तिलक के दूसरे दिन बस हाय हैलो वाली बात हुई।उसके बाद हमें करीब 10-12 साल लग गए।
वो कहते हैं कि उन्हें राजमिस्त्री से मृदुला के बारे में सुनकर ही प्यार हो गया था और वो उनकी की याद में गाने गाकर रोया करते थे। ‘होता है न सुनकर प्यार हो जाना। खबर सुनी थी और मुख्तार की नजरों से ही मैंने अपनी कल्पना कर ली. बस ‘तुम दिल की धड़कन में रहती हो’।
‘बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम’ जिन गानों पर हम 90s के दौर में रोते थे, उन गानों पर अब बात करके हंसते हैं. प्यार में होने का मतलब होता है अच्छा आदमी बनना।
छोटे से गांव से मुंबई तक का सफर
इस दौरान पंकज को पढ़ाई के लिए दिल्ली जाना पड़ा मृदुला कोलकाता में रहती थी और पंकज दिल्ली में पढ़ते हुए एनएसडी हॉस्टल में रह रहे थे। पंकज कहते हैं कि ‘डेटिंग उस समय एक दुर्लभ कॉन्सेप्ट हुआ करता था।हम आपस में लेटर एक्सचेंज करते थे जो दस दिनों में एक बार आता था। इसके अलावा रात 8 बजे भी एक फोन आता था जो फिक्स था। 12 सालों की जद्दोजहद के बाद 2004 में दोनों की शादी हो पाई थी क्योंकि मृदुला मेरे साले की बहन थी और ब्राहाण होने के चलते ये मान्य नहीं था कि वहां शादी करें जहां बहन की पहले ही शादी हो चुकी है।’
पंकज कहते हैं कि ‘अगर आप मेरे फिल्मी स्ट्रगल के बारे में पूछेंगे तो मेरे पास कोई खास दुखद कहानियां नहीं हैं।मुझे न तो फुटपाथ पर सोना पड़ा और न ही कई दिनों तक भूखा रहना पड़ा।इसका कारण ये है कि मेरी पत्नी मृदुला ने घर की पूरी जिम्मेदारी ले ली थी। मैं तो सबसे यही कहता हूं कि उन्होंने मेरे घर में पुरूष की भूमिका निभाई है।हमारे इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए आप सबका धन्यवाद और इस प्रकार की ओर भी रोचक खबरे जानने के लिए हमारी वेबसाइड ”Samchar buddy.com से जुड़े रहे।