पाकिस्तान की जेल में हिंसक हमले में अपनी जान गंवाने वाले सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौर का शनिवार की रात निधन हो गया। उनका अंमित संस्कार रविवार पंजाब के तरन तारन जिले के भिखीविंड में किया गया। दलबीर कौर का अंतिम संस्कार सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि दलबीर कौर की अर्थी को कंधा और उनका अंतिम संस्कार खुद अभिनेता रणदीप हुड्डा ने किया है। रणदीप हुड्डा ने सरबजीत की बायोपिक में ‘सरबजीत’ का किरदार निभाया था। फिल्म के वक्त ही दलबीर कौर ने रणदीप हुड्डा से वादा लिया था कि वो उनका अंतिम संस्कार करेंगे।किसी को नहीं था यकीन, 5 साल पुराना वादा निभाएंगे रणदीप हुड्डा जब शनिवार (25 जून) की रात सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौर का निधन हुआ तो इस बात का यकीन किसी को नहीं होगा कि रणदीप हुड्डा अपना 5 साल पहले का किया वादा निभाने आएंगे। लेकिन अंतिम संस्कार वाले दिन रविवार (26 जून) को रणदीप हुड्डा अपना 5 साल पुराना वादा निभाने पहुंच गए। दलबीर कौर के निधन की खबर सुनते ही रणदीप हुड्डा ने अपना वादा पूरा करने और उनका अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए मुंबई से निकल गए थे।
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सिर्फ कंधा ही नहीं चिता को मुखाग्नि भी दी रणदीप ने
जब रविवार (26 जून) को अंतिम संस्कार के लिए रणदीप हुड्डा भिखीविंड पहुंचे तो दलबीर कौर के परिवार को इस बात का यकीन नहीं हुआ। रणदीप हुड्डा वहां पहुंचकर दलबीर कौर के परिवार को संभाला और उन्हें सांत्वना दी। दलबीर कौर की अर्थी को कंधा देते हुए उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए। इतना ही नहीं रणदीप हुड्डा ने दलबीर कौर की चिता को मुखाग्नि भी दी है।
मैं रणदीप से वादा चाहती हूं कि वो मेरी अर्थी को कंधा दे…’ 2017 में दलबीर कौर ने कहा था, ”मैं रणदीप को बताना चाहूंगी कि मैंने उनमें सरबजीत को देखती हूं।” दलबीर कौर ने कहा था, ”मैंने रणदीप हुड्डा में अपना भाई देखा है। मेरी एक इच्छा है और मैं उनसे (रणदीप) एक वादा लेना चाहूंगी कि जब मैं मरूंगी तो वह मुझे कंधा जरूर देंगे। मेरी आत्मा को शांति मिलेगी, मुझे लगेगा कि मेरे भाई सरबजीत ने मुझे कंधा दिया है।”
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रणदीप हुड्डा ने सरबजीत की बहन से किया वादा निभाया
सरबजीत सिंह पंजाब के भिखीविंड के रहने वाले किसान थे, जो भारत-पाकिस्तान सीमा के पास रहते थे। एक दिन वह रात को शराब के नशे में पाकिस्तान की सीमा में गलती से चले गए थे। 1991 में पाकिस्तान की एक अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई थी। सरबजीत सिंह को 22 साल तक लाहौर की कोट लखपत जेल में रखा गया था। इसी जेल में एक दिन कैदियों ने उनकी पिटाई की और उन्हें अस्पताल ले जाया गया।
सरबजीत सिंह को 2013 में जेल परिसर में हमले के बाद सिर में गंभीर चोटों के कारण पांच दिनों तक कोमा में रहने के बाद लाहौर के जिन्ना अस्पताल में डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था। 22 साल की जेल के दौरान, उनकी बड़ी बहन दलबीर कौर ने अपने भाई को रिहा करने के लिए कई कानूनी लड़ाई लड़ी थी।
दलबीर कौर ने हमेशा जोर देकर कहा था कि उसका भाई सरबजीत सिंह निर्दोष है और जब उसे गिरफ्तार किया गया तो गलती से पाकिस्तान चला गया था। वह अपने भाई को देखने पाकिस्तान भी गई थी।हमारे इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए आप सबका धन्यवाद और इस प्रकार की ओर भी रोचक खबरे जानने के लिए हमारी वेबसाइड Samchar buddy जुड़े रहे।