हर व्यक्ति की जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। उसे कभी सुख, तो कभी दुख का सामना करना पड़ता है। ऐसे में बिना रुके अपने जीवन में हमेशा आगे बढ़ते रहने वालों को ही सफलता मिलती है। फिल्ममेकर सूरज बड़जात्या फैमिली और रोमांटिक फिल्में बनाने के लिए जाने जाते हैं। उनकी फिल्मों में परिवार और प्यार के मूल्य को बखूबी समझाया जाता है।पहली बार वो दोस्ती के ऊपर फिल्म लेकर आ रहे हैं। राजश्री प्रोडक्शन के बैनर तले बनी इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, अनुपम खेर, बोमन ईरानी, सारिका, परिणीति चोपड़ा, डैनी डेंजोंगप्पा, नफीसा अली और नीना गुप्ता जैसे बड़े कलाकार अहम किरदारों में हैं। फिल्म की कहानी सुनील गांधी ने लिखी है, जबकि महावीर जैन और नताशा ओसवाल के साथ सूरज बड़जात्या ने प्रोड्यूस किया है।”चलते रहेंगे तो थकान महसूस नहीं होगी”…फिल्म ‘ऊंचाई’ का ये डायलॉग जीवन का मूल मंत्र है”।
‘ऊंचाई’ 11 नवंबर को सिनेमाघरों में रिलीज
लव, इमोशन और इंस्पिरेशन से भरे फिल्म ‘ऊंचाई’ के 2 मिनट 50 सेकंड के ट्रेलर में ये दिखाया गया है कि सपने देखने की कोई उम्र नहीं होती है। किसी भी उम्र में सपने देखे जा सकते हैं और उसे साकार करने के लिए शिद्दत से कोशिश की जा सकती है। फिल्म के ट्रेलर में दिखाया गया है कि चार बुजुर्ग दोस्त एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। इन दोस्तों के किरादर में अमिताभ बच्चन, अनुपम खेर, बोमन ईरानी और डैनी डेंजोंगप्पा को देखा जा सकता है।
चारों दोस्त खूब मस्ती करते हैं।सही मायने में जब लोग अपनी जिंदगी को खत्म मान लेते हैं, उस उम्र ये दोस्त जमकर आनंद ले रहे हैं।डैनी डेंजोंगप्पा के किरदार भूपेन का माउंट एवरेस्ट पर जाने का सपना होता है। अपने हर जन्मदिन पर वो अपने सपने के बारे में दोस्तों से बात करता है। लेकिन इसी बीच भूपेन की मौत हो जाती है यहीं से कहानी एक नया मोड़ ले लेती है।
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‘ऊंचाई’ का ये डायलॉग जीवन का मूल मंत्र
भूपेन के तीनों दोस्त फैसला करते हैं कि उसकी अस्थियों का विसर्जन वही होगा, जहां उसकी आत्मा बसती है।यानी तीनों माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने का फैसला कर लेते हैं।लेकिन उनकी उम्र उनके लिए सबसे बड़ी मुसीबत होती है।हर कोई उनको ट्रैंकिंग पर नहीं जाने का सलाह देता है। यहां तक कि टूर गाइड परिणीति चोपड़ा भी उन्हें मना कर देती है। लेकिन उनके हौसले के सामने सभी हार मान जाते हैं।तीन दोस्त बेस कैम्प एकत्रित होते हैं।
वहां से एवरेस्ट पर चढ़ाई के लिए जरूरी तैयारी करने के बाद ट्रैकिंग शुरू कर देते हैं।रास्ते में तमाम मुसीबतें आती हैं हादसे होते हैं। ऐसा लगता है कि उनका सपना साकार नहीं हो पाएगा। लेकिन फिर भी वो हिम्मत से आगे बढ़ते रहते हैं। लेकिन क्या उनका सपना पूरा हो पाएगा? क्या वो अपने दोस्त भूपने की अस्थि एवरेस्ट पर ले जा पाएंगे? इसके जवाब के लिए फिल्म का इंतजार करना होगा.हमारे इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए आप सबका धन्यवाद और इस प्रकार की ओर भी रोचक खबरे जानने के लिए हमारी वेबसाइड Samchar buddy .com जुड़े रहे हैं।