अमरनाथ यात्रा हिन्दुओं की धार्मिक आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है, जहां की यात्रा का विशेष महत्व है, जिसमे प्राकृतिक स्वयंभू शिवलिंग विराजमान है। इस लिंग की विशेषता है कि यह बर्फ से निर्मित है, जिसका आकार बारह महीनो में घटता बढ़ता रहता है। जहां के बारे में मान्यता है कि भगवांन शिव ने माता पार्वती को अमर होने की कहानी इसी स्थान पर सुनायी थी। जिनके साथ ही तोता और दो कबूतरों ने भी छिपकर यह कहानी सुनी थी। जिसके बाद इन्हें भी अमरत्व प्राप्त हुआ था, जो यहां आज भी दिख जाते हैं। जिसकी वजह से इस स्थान का नाम अमरनाथ हो गया। यहां का शिवलिंग चन्द्रमा की कलाओं के जैसा 15 दिन तक घटता बढ़ता रहता है, जिसके विलक्षण कार्य को देखने और धार्मिक यात्रा के लिए प्रतिवर्ष लाखों पर्यटक यहां पर आते हैं जो धार्मिक यात्रा के साथ ही यहां की ख़ूबसूरत वादियों का लुफ़्त उठाते हैं। यहां से जुडी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
1 अमरनाथ यात्रा पूर्वकाल से ही चलती आ रही है जिसमे विदेशी आक्रमण और शासनाधीन काल में कुछ समय 14 वी सदी में यह यात्रा पूरी तरह खुली नहीं रही, लेकिन यात्रा की अविरल धार हमेशा चलती रही है।
2 कश्मीर के ब्राह्मणो के सम्मान से भी यह यात्रा जुडी हुई है, जो इस यात्रा को कराते थे और अपनी जीविकोपार्जन भी इसके माध्यम से करते रहे हैं। इस यात्रा का उल्लेख महाभारत और कुछ प्राचीन हिमालयी बोध ग्रंथों में भी मिलता है।
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3 माना जाता है कि आतातायी मुगलों के शासन के अंतर्गत जब उन्होंने कश्मीरी पंडितों का उत्पीड़न और उनकी लूट खसोट शुरू की तो उस समय आकाशवाणी हुई थी कि, तुम लोग हरगोविंद सिंह जी से मदद मांगने जाओ वे सिखों के बड़े धर्मगुरु थे। जिसके बाद वे उनकी रक्षा के लिए आये थे।
4 पुराणों में वर्णित बातो के अनुसार अमरनाथ के दर्शन का पुण्य अन्य तीर्थों से हजारों गुना अधिक फलदायी है, जिसे अमरेश्वर शिवलिंग के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इसकी सबसे पहले खोज भृगुऋषि ने की थी, जिसके बाद यहाँ साधना का केंद्र बना था।
5 प्रसिद्ध इतिहास की जानकारी देने वाला ग्रन्थ राजतरंगनी में इसका उल्लेख प्राप्त होता है, जो कुछ ऐतिहासिक बाते बताता है। साथ ही वेळी ऑफ़ कश्मीर, नाम की अंग्रेजी किताब जो काफी फेमस किताब है उसमे भी इस यात्रा के बारे है बतलाया गया है।
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