हिंदू धर्म में भगवान और मंदिरों का बड़ा महत्व है, आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो किसी अजूबे से कम नहीं है। कहते हैं कि इस मंदिर को बनने में 100 साल से भी ज्यादा का समय लगा था।इस मंदिर का निर्माण कार्य मालखेड स्थित राष्ट्रकूट वंश के नरेश कृष्ण (प्रथम) (757-783 ई.) ने शुरु करवाया था। माना जाता है कि इसे बनाने में 100 साल से भी ज्यादा का समय लगा था और करीब 7000 मजदूरों ने दिन-रात एक करके इस मंदिर के निर्माण में अपना योगदान दिया था।इस भव्य मंदिर को देखने के लिए सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर से लोग आते हैं। इस मंदिर में आज तक कभी पूजा हुई हो, इसका प्रमाण नहीं मिलता। यहां आज भी कोई पुजारी नहीं है। यूनेस्को ने 1983 में ही इस जगह को ‘विश्व विरासत स्थल’ घोषित किया है।
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किसी अजूबे से कम नहीं है भारत का ये मंदिर
यह मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित एलोरा की गुफाओं में है, जिसे एलोरा के कैलाश मंदिर के नाम से जाना जाता है। 276 फीट लंबे और, 154 फीट चौड़े इस मंदिर की खासियत ये है कि इसे केवल एक ही चट्टान को काटकर बनाया गया है। ऊंचाई की अगर बात करें तो यह मंदिर किसी दो या तीन मंजिला इमारत के बराबर है।कहा जाता है
कि इस मंदिर के निर्माण में करीब 40 हजार टन वजनी पत्थरों को काटा गया था। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसका रूप हिमालय के कैलाश की तरह देने का प्रयास किया गया है। कहते हैं कि इसे बनवाने वाले राजा का मानना था कि अगर कोई इंसान हिमालय तक नहीं पहुंच पाए तो वो यहां आकर अपने अराध्य भगवान शिव का दर्शन कर ले।
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कैलाश मंदिर में अति विशाल शिवलिंग
यह मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित एलोरा की गुफाओं में है, जिसे एलोरा के कैलाश मंदिर के नाम से जाना जाता है। ये मंदिर 90 फीट है 276 फीट लंबे और, 154 फीट चौड़े इस मंदिर की खासियत ये है कि इसे केवल एक ही चट्टान को काटकर बनाया गया है।
ऊंचाई की अगर बात करें तो यह मंदिर किसी दो या तीन मंजिला इमारत के बराबर है। कैलाश मंदिर एलोरा का कैलाश मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में प्रसिद्ध एलोरा की गुफाओं में स्थित है। यह एलोरा के 16वीं गुफा की शोभा बढ़ा रही है। इसका काम कृष्णा प्रथम के शासनकाल में पूरा हुआ। कैलाश मंदिर में अति विशाल शिवलिंग देखा जा सकता है।
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आजतक इस मंदिर में कभी पूजा किए जाने का प्रमाण नहीं मिलता। आज भी इस मंदिर में कोई पुजारी नहीं है। कोई नियमित पूजा पाठ का कोई सिलसिला नहीं चलता।पत्थर को काटकर बनाया था मंदिर इसके निर्माण में करीब 40 हज़ार टन वजनी पत्थरों को काटकर 90 फुट ऊंचा मंदिर बनाया गया।
इस कैलाश मंदिर के आंगन के तीनों ओर कोठरियां हैं और सामने खुले मंडप में नंदी विराजमान है और उसके दोनों ओर विशालकाय हाथी और स्तंभ बने हैं। इस भव्य मंदिर को देखने के लिए सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर से लोग आते हैं।हमारे इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए आप सबका धन्यवाद और इस प्रकार की ओर भी रोचक खबरे जानने के लिए हमारी वेबसाइड Samchar buddy .com से जुड़े रहे।