आखिर क्या है उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर का रहस्य : मध्य प्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में स्थित महाकालेश्वर मंदिर को तो सभी लोग जानते हैं लेकिन इसके रहस्य को बहुत कम लोग जानते होंगे जानकारी के लिए आपको बता दें कि यह मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है । तो दोस्तों आज हम आपको महाकालेश्वर मंदिर के 10 रहस्य के बारे में बताएंगे जिन्हें सुनकर आप दंग रह जाएंगे तो चलिए बिना समय गवाएं शुरू करते हैं।
1.महाकाल नाम का रहस्य
महाकाल का संबंध केवल मृत्यु से है परंतु यह पूरा सच नहीं है काल के दो अर्थ होते हैं एक समय और दूसरा मृत्यु काल को महाकाल भी कहा जाता है क्योंकि प्राचीन समय में यहीं से पूर्ण विश्व का मानक समय निर्धारित होता था इसलिए इस ज्योतिर्लिंग का नाम महाकालेश्वर रखा गया।
दूसरा कारण भी काल से ही जुड़ा है दरअसल महाकाल का शिवलिंग तब प्रकट हुआ जब महादेव को एक राक्षस दूषण का अंत करना था भगवान शिव उस राक्षस का काल बनकर आए।उसी दिन के बाद अवंती नगरी उज्जैन के नाम से जाना जाता है वहां के वासियों के आग्रह पर महाकाल वहां उपस्थित हो गए। यह समय नकाल के अंत तक यहीं रहेंगे इसलिए भी इन्हें महाकाल कहा जाता है।
2.क्यों यहां रात नहीं बिताता था कोई राज्यमंत्री
उज्जैन का एक ही राजा है और वह है महाकाल बाबा विक्रमादित्य के शासन के बाद यहां कोई भी राजा रात में नहीं रुक सकता जिसने भी यह दुस्साहस किया वह संकटों से गिरकर मारा गया पौराणिक कथा और सिंहासन बत्तीसी की कथा के अनुसार राजा भोज के काल से ही यहां कोई राजा नहीं रुक सकता है वर्तमान में भी कोई राजा या मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री यहां रात में नहीं रुक सकता।
इससे जुड़े कई उदाहरण भी प्रसिद्ध हैं जिनके बारे में आपको जानकर आश्चर्य होगा एक बार देश के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई जब मंदिर के दर्शन करने के बाद रात में यहां रुके थे तो उनकी सरकार अगले ही दिन गिर गई थी।
ऐसे ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदुरप्पा भी उज्जैन में रुके थे तो उन्हें कुछ ही दिनों के अंदर अपना इस्तीफा देना पड़ा था कुछ लोग मानते हैं तो कुछ लोगों के मुताबिक महाकाल भगवान ही शहर के राजा हैं और उनके अलावा कोई और राजा यहां नहीं रुक सकता।
3.महाकाल की भस्म आरती का रहस्य
जितना प्राचीन भगवान महाकाल का मंदिर है उतना ही रहस्यमय यहां होने वाली भस्म यहां होने वाली भस्मारती भी है प्राचीन काल में राजा चंद्र सिंह शिव के बहुत बड़े उपासक माने जाते थे जब राजा रिपुदमन ने उज्जैन पर आक्रमण किया और राक्षस दूषण के जरिए वहां की प्रजा को प्रताड़ित किया तब राजा ने मदद के लिए भगवान शिव से गुहार लगाई प्रजा की गुहार भगवान शिव ने सुनी और स्वयं दुष्ट राक्षस का वध किया। इतना ही नहीं भगवान शिव ने भूषण की राख से अपना श्रृंगार किया और वह हमेशा के लिए यहां बस गए तो इस तरह से भस्म आरती की शुरुआत हुई।
4.चिता भस्म से की जाती थी आरती
यहां पर भगवान शिव के शिवलिंग पर चिता की ताजी भस्म से आरती की जाती थी और इसी से उनका श्रृंगार भी होता था एक कथित कथा के अनुसार प्राचीन काल में प्रतिदिन एक मुर्दे की राख से भस्म आरती की जाती थी परंतु एक बार उज्जैन के शमशान में कोई भी शव नहीं मिलने के कारण उस समय के पुजारी ने अपने ही पुत्र की बलि देकर उसकी चिता की राख से भस्म आरती की जिसे भगवान महाकालेश्वर अत्यधिक प्रसन्न हुए उन्होंने पुजारी के पुत्र को जीवन दान देते हुए कहा आज से उनकी आरती कपिला गाय के गोबर के कंडे अमलतास मिलाकर तैयार किए गए उनकी आरती नियमित रूप से की जाती है।
5.रहस्यमय श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर
राजसमंद श्रीनाथ चंद्रेश्वर मंदिर महाकालेश्वर मंदिर के बारे में तो आप सभी जानते ही होंगे लेकिन आप में से शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो श्रीनाथ चंद्रेश्वर मंदिर को पहचा होगा ।वर्तमान में जो महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है वह तीन खंडों में विभाजित है निचले खंड में महाकालेश्वर मध्य खंड में ओमकारेश्वर तथा उपखंड में श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर है।
6.स्वयंभू ज्योतिर्लिंग
12 ज्योतिर्लिंगों में से महाकाल ही एकमात्र सर्वोत्तम शिवलिंग है अर्थात् आकाश में तारक शिव लिंग पाताल में हाटकेश्वर शिवलिंग और पृथ्वी पर महाकालेश्वर शिवलिंग ही मान्य शिवलिंग है मान्यता है कि महाकाल मंदिर में शिवलिंग स्वयंभू है विश्व भर में कालगणना की नगरी कहे जाने वाले उज्जैन में मान्यता है कि भगवान महाकाल ही समय को लगातार चलाते हैं और काल भैरव काल का नाश करते हैं।
7.दक्षिण मुखी शिवलिंग
दक्षिण मुखी शिवलिंग इस समय पूरे संसार के सभी शिव मंदिरों को स्थापित शिवलिंग और अन्य ज्योतिर्लिंग की जलाधारी उत्तर दिशा की ओर है किंतु महाकालेश्वर ही एक ऐसा ज्योतिर्लिंग है जिसकी जलाधारी दक्षिण दिशा की ओर है इसलिए इन्हें दक्षिण मुख्य महाकाल के नाम से भी जाना जाता है
8.मंदिर जहां भगवान को पिलाई जाती है मदिरा
महाकाल मंदिर से जुड़ी हुई है जहां भैरव बाबा का मंदिर स्थित है दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां पूरी दुनिया में मंदिरों के आसपास से शराब की दुकानें हटा दी जाती हैं वहीं दूसरी ओर महाकाल के मंदिर परिसर से लेकर इसके रास्ते में बहुत सारी शराब की दुकानें लगाई गई हैं यहां प्रसाद बेचने वाले भी शराब अपने पास रखते हैं आज तक यह कोई नहीं जानता है कि भगवान को शराब पिलाने का रिवाज कब से है और आखिर इतनी मदिरा पीते हैं तो जाती कहां है।
9.जुना महाकाल
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शिवलिंग को नष्ट करने की कोशिश करी गई जिसके कारण पुजारियों ने उसे छुपा दिया और इसकी जगह दूसरा शिवलिंग रखकर उसकी पूजा करने लगे बाद में उन्होंने उस शिवलिंग को वही महाकाल के प्रांगण में अन्य जगह स्थापित कर दिया जिसे आज जूना महाकाल कहा जाता है हालांकि कुछ लोगों के अनुसार असली शिवलिंग को छेड़ होने से बचाने के लिए ऐसा किया गया था।
10.रहस्यमयी भक्त
महाकालेश्वर मंदिर के रहस्य
वैसे तो मंदिरों में रोजाना चमत्कार होते हैं लेकिन सभी चमत्कार आम लोगों तक नहीं पहुंच पाते हैं ऐसा ही एक दुर्लभ चमत्कार महाकाल मंदिर के गर्भ गृह में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया और किसी सदस्य ने इस चमत्कार को सार्वजनिक कर दिया इसलीये इस तस्वीर को सावन महाशिवरात्रि में बाबा महाकाल बेलपत्र से ढक दिया जाता है।और उसके बाद यहां भक्तों का आना मना है
वहाँ रात मे एक अदृश्य शक्ति रात में मौजूद है जो कि महाकाल की पूजा कर रही है इसका अभी तक कोई उत्तर नहीं दिया है परंतु साधुओं का मानना है कि यह घटना सत्य है। इस प्रकार की ओर भी रोचक खबरे जानने के लिए हमारी वेबसाइड ”Samchar buddy” से जुड़े रहे।
महाकालेश्वर मंदिर: (FAQs)
महाकालेश्वर का शिवलिंग कैसे बना?
यह स्वयंभू है, प्राकृतिक रूप से प्रकट।
भस्म आरती क्यों विशेष है?
यह शमशान की भस्म से की जाती है, जो भगवान शिव की अनंत शक्ति का प्रतीक है।
नागचंद्रेश्वर मंदिर कब खुलता है?
साल में केवल एक बार, नागपंचमी के दिन।
दक्षिणमुखी शिवलिंग का महत्व क्या है?
यह यमराज को नियंत्रित करने की शक्ति दर्शाता है।
मंदिर में अखंड जल स्रोत कहां से आता है?
इसकी उत्पत्ति आज भी रहस्य है।