()हिन्दू धर्म में विवाह का संस्कार अन्य धर्मो की तुलना में बेहद ही अलग है। और विवाह का सम्बन्ध किसी प्रकार के समझौते से नहीं, बल्कि दो आत्माओं का मिलन होता है। जिससे उनका जन्मजन्मान्तरों का साथ होता है, इसीलिये शायद हिन्दुओं के विवाह उत्सव बड़ी ही धूम धाम से मनाये जाते हैं। वैदिक रीति के विवाह सर्वोत्तम माने जाते हैं। जीवन के चार महत्वपूर्ण घटक बतलाये गए हैं, ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास जिनमे विवाह का महत्वपूर्ण स्थान है। अगर किसी का विवाह नहीं हुआ तो वह पितृऋण से मुक्त नहीं होता और वह प्रेतयोनि में स्थान पाता है, इसीलिये विवाह ना करने वाले को परलोक में भी सही स्थान प्राप्त नहीं, इसलिए विवाह का बंधन अति पवित्र बंधन माना जाता है।
शायद हिन्दुओं के इसी वजह से बहुत ही न्यून डायवोर्स होते हैं, और पति पत्नी एक दूसरे के लिए प्रेम भाव से जीते हैं आज हम पांच ऐसे महत्वपूर्ण विवाहों की चर्चा करने जा रहे हैं जिन्हें देखने प्रेम और जिज्ञांसा वस सारे देवी देवता उपस्थित हुए थे।
1 भगवान् विष्णु और माता लक्ष्मी का विवाह – माना जाता है कि महर्षि भृगु जी की पुत्री लक्ष्मी का स्वयंवर हुआ था जिसमे शामिल होने के लिए नारद मुनि भी गए, लेकिन उससे पहले उन्होंने भगवान विष्णु से हरी जैसा रूप मांगने का आग्रह किया, हरी नाम के कई अर्थ होते हैं जिसका अर्थ वानर भी होता है तो नारद जी उसके बाद स्वयंवर में पहुंचे तो वहाँ भगवान् श्रीहरि विष्णु जी पहले से ही मौजूद थे, लक्ष्मी ने विष्णु के गले में वरमाला डाल दी उसके बाद नारद मुनि को सच्चाई ज्ञांत हुई कि उनका मुख वानर का हो चुका है तो उन्होंने विष्णु को श्राप दिया कि जैसे मेने स्त्री वियोग सहा वैसे आप भी स्त्री वियोग सहोगे, जिस कारण भगवान् विष्णु को श्रीराम अवतार में स्त्री का वियोग सहना पड़ा।
2 राम और सीता का विवाह – राजा जनक द्वारा अपनी पुत्री सीता के विवाह के लिए एक शर्त रखी थी, कि जो भी उनके पास मौजूद शिव धनुष को उठाएगा उसका विवाह वे अपनी पुत्री से कराएंगे, (हिन्दू धर्म में विवाह) जिसके लिए कई राजा महाराजाओं के नाकाम रहने के बाद भगवान् राम ने उस धनुष को उठाकर उसपर प्रत्यंचा चढ़ाई और स्वयंवर को जीत लिया, फिर सीता से उनका विवाह हुआ, जिसमे सारे देवी देवता भी दर्शक रूप में उपस्थित हुए।
3 शिव पार्वती का विवाह – भगवान् शिव और देवी पार्वती के विवाह में सारे देवी देवता उपस्थित हुए थे, यहां तक कि भूत प्रेत जैसी शक्तियां भी शिव की बरात में शामिल हुई, जो शिवजी के गण माने जाते हैं।
4 कृष्ण रुक्मणी जी का विवाह – महाभारत की कहानी में भगवान् श्री कृष्ण और रुक्मणी के विवाह की रोचक कहानी का जिक्र मिलता है जिसमे कृष्ण ने रुक्मणी का हरण किया था, जिसके बाद कृष्ण और रुक्मणी का कृष्ण की नगरी में खूब स्वागत हुआ था जिसे देखने के लिए सभी देवी देवता उपस्थित हुए थे।
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5 भगवान् गणेश जी का विवाह- भगवान् गणेश जी का विवाह विश्वकर्मा की दो पुत्रियों से हुआ था, जिनका नाम रिद्धि और सिद्धि है जिनसे भगवान् गणेश के विवाह की कहानी बड़ी रोचक है, जिसके अनुसार उन्होंने भगवान् शिव और माता पार्वती को अपने बुद्धि चातुर्य से प्रसन्न किया था, तो गणेशजी के माता पिता ने ईनाम स्वरुप उनका विवाह कराया था, जिसमे सारे देवी देवता उपस्थित हुए थे। इस प्रकार की ओर भी रोचक खबरे जानने के लिए हमारी वेबसाइड ”Samchar buddy” से जुड़े रहे।