स्टारलिंक और अमेज़न जल्द भारत में लेकर आ रहे हैं सैटेलाइट-आधारित इंटरनेट सेवा ?

मस्क की कंपनी स्टारलिंक और अमेज़न ने भारत में सैटेलाइट-आधारित ब्रॉडबैंड सेवाएं प्रदान करने के लिए आवेदन किया है। स्टारलिंक का प्रस्ताव है कि वे ISRO या किसी भारतीय उपग्रह ऑपरेटर के साथ मिलकर उपग्रह लॉन्च करें।

सरकार का क्या कहना है

सरकार की चिंता थी कि स्टारलिंक का उपग्रह समूह वैश्विक होने की वजह से भारतीय डेटा ट्रैफ़िक का विदेशों में स्थानांतरण हो सकता है। हालांकि, उपग्रह संचार सेवाओं के मुद्दे पर DoT के साथ हुई स्टारलिंक की बातचीत सकारात्मक रही है, जिसमें कंपनी ने सरकार की चिंताओं को दूर किया।

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अमेज़न ने भी स्टारलिंक की तरह DOT के पास सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू करने के लिए आवेदन किया है। वर्तमान में भारत का इंटरनेट मार्केट 11 बिलियन डॉलर का है, जो आने वाले समय में 44 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।

स्टारलिंक और अमेज़न के आवेदनों का मूल्यांकन हो रहा है, और अगर सब कुछ अनुसार होता है, तो इन कंपनियों को भारत में अपनी सेवाएं शुरू करने की अनुमति मिल सकती है।

FAQ’S : सेटेलाइट इन्टरनेट

क्या इंटरनेट सेटेलाइट से चलता है?

इंटरनेट कैसे चलता है? सेटेलाइट के माध्यम से चलता है, लेकिन ऐसा नहीं है दरअसल हम जो भी इंटरनेट यूज करते हैं उसमें से 99.9% इंटरनेट ऑप्टिक फाइबर केबल (optic fiber cable) के द्वारा हमारे घर के पास मौजूद टावर तक आता है।

सैटेलाइट नेटवर्क क्या है?

ये एक वायरलेस कनेक्शन है, जो सैटेलाइट की मदद से जमीन में स्थापित डिश तक पहुंचाया जाता है और फिर मॉडेम की मदद से आपको इंटरनेट मिलता है.

सैटेलाइट इंटरनेट इतना खराब क्यों है?

सिग्नल को जितनी अधिक दूरी तय करनी पड़ती है, उसके कारण विलंबता स्थलीय प्रदाताओं की तुलना में अधिक होती है।

Join WhatsApp Channel