ऐसी क्या मज़बूरी रही 135 फिल्म करने के बावजूद इस एक्टर्स का बुढ़ापा गुजरा वृद्धाश्रम में

दुलारी ने भी शुरूआती कुछ फ़िल्में बतौर हीरोइन और साईड हीरोइन की थीं और ‘आना मेरी जान मेरी जान संडे के संडे’ और ‘जवानी की रेल चली जाए’ जैसे ज़बर्दस्त हिट गीत भी दुलारी पर ही फ़िल्माए गए थे।दुलारी जी के मुताबिक़ उनके पूर्वज पीढ़ियों पहले उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र से आकर नागपुर में बस गए थे जहां 18 अप्रैल 1928 को दुलारी जी का जन्म हुआ था। अपने माता-पिता की वो पहली संतान थीं और घर में उनसे छोटे दो भाई थे। यों तो दुलारी जी का नाम अम्बिका रखा गया लेकिन घर में उन्हें सब राजदुलारी कहकर पुकारते थे जो आगे चलकर सिर्फ़ ‘दुलारी’ रह गया। उनके पिता विट्ठलराव गौतम डाकतार विभाग में नौकरी करते थे लेकिन अभिनय का उन्हें इतना शौक़ था कि अभिनेत्री अरूणा ईरानी के नाना की नाटक कंपनी जब नागपुर आई तो नौकरी छोड़कर वो उस कंपनी के साथ मुंबई आ गए।

एक रोज़ उन्होंने ख़ामोशी से फ़िल्मी दुनिया को अलविदा कह दिया।
एक रोज़ उन्होंने ख़ामोशी से फ़िल्मी दुनिया को अलविदा कह दिया।

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135 फिल्मो में काम करने के बाद इस एक्टर्स का बुढ़ापा गुजरा वृद्धाश्रम में

कुछ सालों बाद विट्ठलराव गौतम ने अपने परिवार को भी मुंबई बुला लिया। दुलारी जी के मुताबिक़ साल 1939 में वो मुंबई आयीं तो उस वक़्त उनकी उम्र क़रीब 12 साल थी। उनकी शुरूआती पढ़ाई नागपुर में हुई थी और मुंबई आने के बाद भी उन्होंने पढ़ाई जारी रखी। दुलारी जी के मुताबिक़, नाटकों से पिता की कोई ख़ास आमदनी न हो पाने की वजह से घर में आर्थिक तंगी बनी रहती थी। ऐसे में पिता का हाथ बंटाने के लिए वो भी अरूणा ईरानी के पिता की नाटक कंपनी ‘अल्फ़्रेड-खटाऊ’ में शामिल हो गयीं। फिर कुछ समय बाद वो दो अन्य कंपनियों ‘देसी नाटक समाज’ और ‘आर्यनैतिक’ के गुजराती नाटकों में हिस्सा लेने लगीं। यहां से उनके अभिनय जीवन की शुरूआत हुई।

135 फिल्मो में काम करने के बाद इस एक्टर्स का बुढ़ापा गुजरा वृद्धाश्रम में
135 फिल्मो में काम करने के बाद इस एक्टर्स का बुढ़ापा गुजरा वृद्धाश्रम में

दुलारी जी का कहना था, ‘मेरी उम्र शादी के लायक हो चुकी थी, लेकिन हमारे कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज में दहेज की ज़बर्दस्त मांग थी और घर के माली हालात अभी भी कोई बहुत अच्छे नहीं थे। ऐसे में मेरे माता-पिता को मेरे लिए अपने समाज से बाहर का रिश्ता स्वीकारना पड़ा। मराठा (मराठी क्षत्रिय) ख़ानदान के मेरे पति जगन्नाथ भीखाजी जगताप फ़िल्मोद्योग के जाने-माने साऊंड रेकॉर्डिस्ट थे।

65 साल के करियर में 171 हिंदी, 35 गुजराती, 3 मराठी और 1 राजस्थानी फ़िल्म के
65 साल के करियर में 171 हिंदी, 35 गुजराती, 3 मराठी और 1 राजस्थानी फ़िल्म के

साल 1951 में शादी होने के बाद क़रीब 10 दस सालों तक मैंने बहुत कम काम किया।अगले क़रीब 35 सालों में दुलारी जी ‘जब प्यार किसी से होता है’क़रीब 135 फ़िल्मों में छोटी-बड़ी चरित्र भूमिकाओं में नज़र आयीं। और फिर एक रोज़ उन्होंने ख़ामोशी से फ़िल्मी दुनिया को अलविदा कह दिया।

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दुलारी पिछले काफ़ी समय से अल्ज़ाईमर की बीमारी

दुलारी जी के पति का निधन साल 1972 में हुआ। उनकी इकलौती बेटी की शादी हो चुकी थी। अभिनय से सन्यास लेने के बाद कुछ समय तो वो मुंबई में अकेली रहीं और फिर साल 2002 में अपनी बेटी के पास इंदौर चली गयीं। उनके ससुरालपक्ष के कई क़रीबी रिश्तेदार और उनकी सबसे अच्छी सहेली अभिनेत्री पूर्णिमा मुंबई में रहते हैं इसलिए उनका अक्सर मुंबई आना-जाना होता रहता था।

दुलारी पिछले काफ़ी समय से अल्ज़ाईमर की बीमारी
दुलारी पिछले काफ़ी समय से अल्ज़ाईमर की बीमारी

लेकिन हाल ही में पता चला है कि क़रीब 65 साल के करियर में 171 हिंदी, 35 गुजराती, 3 मराठी और 1 राजस्थानी फ़िल्म के अलावा श्री अधिकारी ब्रदर्स के धारावाहिक ‘वक़्त की रफ़्तार’ में अभिनय कर चुकीं 85 साल की दुलारी पिछले काफ़ी समय से अल्ज़ाईमर की बीमारी की गिरफ़्त में हैं और पुणे शहर के एक वृद्धाश्रम में रह रही हैं।दुलारी का निधन 18 जनवरी 2013 को 85 साल की आयु में पुणे में हुआ|हमारे इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए आप सबका धन्यवाद और इस प्रकार की ओर भी रोचक खबरे जानने के लिए हमारी वेबसाइड Samchar buddy से जुड़े रहे।

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