यश की केजीएफ 2 सच्ची घटना पर आधारित फिल्म बनी जिसमे ब्रिटिश जमाने की खोज है केजीएफ खदान

‘केजीएफ 2’यश साउथ इंडस्ट्री के कन्नड़ सुपर स्टार यश की फिल्म केजीएफ2 को दर्शको को खूब प्यार मिला।केजीएफ 2ने बॉक्स ओफ्फिस पर आते ही तहलका मचा दिया था। ठीक वैसा ही धमाल केजीएफ चैप्टर 2 ने मचाया है ।दर्शक इस फिल्म का कब से इंतज़ार कर रहे थे।क्योकि सभी उस सदियों पुरानी सोने की खदान के बारे में विस्तार से जानना चाहते थे ।आपको इस फिल्म के बारे में एक बात बता दे इस में जिस सोने की खदान का जिक्र किया गया है ।वो काल्पनिक नही बल्कि असली में है।अब इस बात पर बहुत से लोग यकीन नही करेंगे,लेकिन ये बिलकुल सच है कि 121 सालो तक यंहा से लगातार सोना निकलता रहा है।ये फिल्म सिनेमा में ‘एंग्री यंगमैन’ का वजूद भी तलाशती है और जिस तरह यश के परदे पर पहले प्रवेश पर सिनेमाहॉल में दर्शकों की सीटियां, तालियां और शब्दावलियां गूंजती हैं, उनसे लगता यही है कि सिनेमा असल में यही है यश।

ब्रिटिश जमाने की खोज है केजीएफ खदान
‘केजीएफ 2’ब्रिटिश जमाने की खोज है केजीएफ खदान

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ब्रिटिश जमाने की खोज है केजीएफ खदान(‘केजीएफ 2’)

केजीएफ यानि कोलार गोल्ड फ़ील्ड्स कर्नाटक के दक्षिण पूर्व इलाक़े में है ,और बैंगलोर-चेन्नई एक्सप्रेसवे पर 100 किलोमीटर दूर केजीएफ़ टाउनशिप है। यह जगह कई मायनों में खास है। 1871 में जब भारत अंग्रेजों का गुलाम था तब ब्रिटिश सैनिक माइकल फिट्ज़गेराल्ड लेवेली ने बेंगलुरू में अपना घर बनाया। वे अधिकांश समय किताबों और आर्टिकल के बीच गुजारते।उन्हें भारत के इतिहास में भी काफी रूचि थी।

अलस में चोल साम्राज्य में लोग ज़मीन को हाथ से खोदकर ही सोना निकालते थे।
‘केजीएफ 2’अलस में चोल साम्राज्य में लोग ज़मीन को हाथ से खोदकर ही सोना निकालते थे।

ऐसे ही एक दिन 1804 में छपे एशियाटिक जर्नल का एक लेख देखा।जिसमें कहा गया था कि कोलार में इतना सोना है कि लोग हाथ से जमीन खोदकर ही उसे निकाल लेते हैं।1799 की श्रीरंगपट्टनम की लड़ाई में अंग्रेज़ों ने टीपू सुल्तान को मारने के बाद कोलार और आस-पास के इलाक़े पर अपना क़ब्ज़ा जमा लिया था।बाद में यह जमीन मैसूर राज्य को दे दी गई पर कोलार को शासकों ने अपने हिस्से में रखा। वो जानते थे कि यहां सोना है। अलस में चोल साम्राज्य में लोग ज़मीन को हाथ से खोदकर ही सोना निकालते थे।

लड़ाई में अंग्रेज़ों ने टीपू सुल्तान को मारने के बाद कोलार और आस-पास के इलाक़े पर अपना क़ब्ज़ा जमा
लड़ाई में अंग्रेज़ों ने टीपू सुल्तान को मारने के बाद कोलार और आस-पास के इलाक़े पर अपना क़ब्ज़ा जमाकेजीएफ 2’

फिल्म ‘केजीएफ चैप्टर 2’ में यश के बाद रवीना टंडन और संजय दत्त दोनों का काम दमदार है। रवीना टंडन ने तो जिस गरिमा और गमक के साथ प्रधानमंत्री का किरदार निभाया है, वह उन्हें आने वाले दिनों में पुरस्कार भी दिला सकता है। संजय दत्त इस फिल्म में ‘अग्निपथ’ के कांचा से भी आगे निकल गए हैं।

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‘केजीएफ 2’ में सता का बड़ा संदेश

सिनेमा जब लकीर के एक तरफ खड़े होकर दूसरी तरफ के विलेन तलाश रहा है तो पहले ‘आरआरआर’ और अब ‘केजीएफ 2’ में सामाजिक समरसता की एक नई इबारत लिखी जा रही है। यहां मुश्किल में काम आने वाले लोगों के मजहब पर भीम को भी फख्र है और रॉकी को भी। इन दोनों फिल्मों की सफलता का राज भी यही है। इन्हें देखते हुए आपको पास की सीट पर बैठे दर्शक से सतर्क नहीं रहना होता।

‘केजीएफ 2’ में सता का बड़ा संदेश
‘केजीएफ 2’ में सता का बड़ा संदेश

उनकी वेशभूषा और उनके किरदार का रूप चित्रण हालांकि एक विदेशी सीरीज के किरदार से सौ फीसदी प्रेरित दिखता है लेकिन उनका काम रौबदार है। श्रीनिधि शेट्टी तो अब ‘केजीएफ 3’ में नहीं दिखेंगी लेकिन समंदर की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओँ में सोया रॉकी फिर लौटने वाला है।फिल्म ‘केजीएफ चैप्टर 2’ में यश के बाद रवीना टंडन और संजय दत्त दोनों का काम दमदार है।हमारे इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए आप सबका धन्यवाद और इस प्रकार की ओर भी रोचक खबरे जानने के लिए हमारी वेबसाइड ”Samchar buddy से जुड़े रहे।

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