बॉलीवुड एक्टर अभिषेक बच्चन ने इंस्टाग्राम पर अपनी नई फिल्म ‘दासवी’ का टीजर जारी किया। इस टीजर में अभिषेक बच्चन जो फिल्म में गंगा राम चौधरी का किरदार निभा रहे दिखाया गया है, जो एक कैदी है, और जेल से अपनी कक्षा 10 की परीक्षा दे रहे है।अभिषेक बच्चन, यामी गौतम और निम्रत कौर स्टारर फिल्म “दसवीं” नेटफ्लिक्स पर रिलीज कर दी गई है। इस फिल्म का दर्शकों को बेसब्री से इंतजार था, क्योंकि फिल्म में अभिषेक बच्चन एक ऐसे राजनेता के किरदार में हैं जो दसवीं की परीक्षा पास करने की मशक्कत करते हैं। क्या अभिषेक बच्चन इस फिल्म में दसवीं पास हो जाते हैं? इसे जानने के लिए आपको यह फिल्म देखनी होगी लेकिन उससे पहले ये जान लें कि आखिर एक बेहतर फिल्म होने की परीक्षा में इस फिल्म को कितने अंक मिले हैं?
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फिल्म ‘दासवी’ का टीजर हुआ जारी
मेरे बेटे , बेटे होने से मेरे उत्तराधिकारी नहीं होंगे , जो मेरे उत्तराधिकारी होंगे , वो मेरे बेटे होंगे।’ दसवीं का ट्रेलर रिलीज होने के बाद अमिताभ बच्चन ने अपने पिता हरिवंश राय बच्चन की कविता की इन पंक्तियों के साथ अभिषेक बच्चन को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। फिल्म रिलीज के बाद अब अभिषेक बच्चन के फैंस को इंतजार कर रहे हैं कि वह सही मायनों में अपने पिता की इन बातों को सच साबित करते हैं या नहीं। दसवीं सात अप्रैल को रिलीज हो रही है। ऐसे में फिल्म देखने से पहले पढ़ लें ये रिव्यू।
एक घोटाले में मुख्यमंत्री गंगाराम चौधरी अभिषेक बच्चन का नाम सामने आने के बाद उन्हें न्यायिक हिरासत की सजा सुनाई गई है। हरियाणवी राजनेता ने जेल की सजा के दौरान अपनी कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा में बैठने का फैसला किया। वह कसम खाते हैं कि जब तक वह दसवीं पास नहीं होंगे, वह फिर से सीएम नहीं बनेंगे। इस बीच, जेल में गंगाराम को एक पुलिस ऑफिसर, ज्योति देसवाल यामी गौतम से मुलाकात होती है, जो गंगाराम चौधरी सनक और उनके फरमानों के आगे झुकने से इनकार करती है।
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अभिषेक बच्चन नेता बन जेल से करेंगे ‘दसवीं’ पास
कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन के कारण जहां उद्योग-धंधे चौपट हो गए ,वहीं नौकरीपेशा लोगों के लिए यह महामारी विकराल संकट बनकर आई है।रोजगार छिन गए और बेरोजगारी बढ़ गई है।अब इसी मुद्दे पर कवि कुमार विश्वास ने अपनी बात रखी है।
ट्विटर समेत सोशल मीडिया पर बेरोजगारी को लेकर कराए जा रहे ट्रेंड के बीच कुमार विश्वास ने लिखा, ”अभिषेक बच्चन जरा तो सोचिए उन बच्चों के बारे में दिल पर हाथ रखकर, कि जो बच्चे मेहनत से पढ़कर, प्रतियोगी परीक्षाएं पास करके भी, सरकारी काहिली के कारण वर्षों-वर्ष से अपनी नौकरी की प्रतीक्षा कर रहे हैं । सोचिए कि उनके लिए जीवन कितना कष्टकर हो रहा होगा? किसी भी दल-नेता के प्रति समर्पित रहो पर सरकारों से सरोकारों के सवाल तो पूछो ! सरकारें देश नहीं हैं यारों ! आनी-जानी हैं।हमारे इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए आप सबका धन्यवाद और इस प्रकार की ओर भी रोचक खबरे जानने के लिए हमारी वेबसाइड ”Samchar buddy से जुड़े रहे।