धतूरा का इस तरह से सेवन करने से : धतूरा स्ट्रैमोनियम एक व्यापक वार्षिक पौधा है, जिसमें एट्रोपिन, हायोसायमाइन और स्कोपोलामाइन होता है, जो गंभीर एंटीकोलिनर्जिक सिंड्रोम के साथ विषाक्तता पैदा कर सकता है । यह लगभग १ मीटर तक ऊँचा होता है। यह वृक्ष काला-सफेद दो रंग का होता है। और काले का फूल नीली चित्तियों वाला होता है। हिन्दू लोग धतूरे के फल, फूल और पत्ते शंकरजी पर चढ़ाते हैं। आचार्य चरक ने इसे ‘कनक’ और सुश्रुत ने ‘उन्मत्त’ नाम से संबोधित किया है। आयुर्वेद के ग्रथों में इसे विष वर्ग में रखा गया है।पुराण के अनुसार, जब भगवान शिव ने विष पिया तो उनकी छाती से धतूरा निकला। धतूरा जहरीला और कड़वा होता है। भगवान को चढ़ाया जाने वाला धतूरा फल या फूल इस बात का प्रतीक है कि हम समर्पण कर रहे हैं और अपनी सभी कड़वाहट, नकारात्मकता और नफरत, ईर्ष्या और क्रोध जैसी विषाक्तता से छुटकारा पा रहे हैं।
तेजपत्ता का सेवन करने से आपके स्वास्थ्य में आएंगे परिवर्तन
धतूरा के औषधीय गुण के अनेक फायदे
- बवासीर रोग में धतूरा का उपयोग
- गंजापन दूर करने में धतूरे का उपयोग
- गठिया व जोड़ों के दर्द में धतूरा का उपयोग
- शरीर में दर्द से राहत दिलाने में धतूरे का उपयोग
- घाव में धतूरे का उपयोग
- कान के रोग में धतूरे का उपयोग
- चोट की सूजन में धतूरे का उपयोग
- फूल जो नहीं चढ़ाने चाहिए
भगवान शिव को धतूरा क्यों चढ़ाया जाता है?
भगवान शिव भांग और धतूरा पीने के लिए जाने जाते थे । लोग अभी भी त्योहारों और विशेष दिनों के दौरान मंदिरों में शिव चिह्नों पर प्रसाद के रूप में छोटे कांटेदार सेब प्रदान करते हैं।
जब भगवान शिव ने विष पिया तो उनकी छाती से धतूरा निकला। धतूरा जहरीला और कड़वा होता है। भगवान को चढ़ाया जाने वाला धतूरा फल या फूल इस बात का प्रतीक है कि हम समर्पण कर रहे हैं और अपनी सभी कड़वाहट, नकारात्मकता और नफरत, ईर्ष्या और क्रोध जैसी विषाक्तता से छुटकारा पा रहे हैं।
जोड़ों के दर्द के लिए सबसे अच्छा तेल कौन सा है?
एक्सपर्ट बताती हैं कि सरसों के तेल से नियमित मालिश करने से जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द में आराम मिलता है। अर्थराइटिस के रोगियों को भी इससे आराम हो सकता है।