उपवास आहार के चमत्कार : 6 प्रकार और उनके स्वास्थ्य लाभ

Fasting Food (उपवास आहार) :  जिसे आमतौर से व्रत या व्रत के नाम से जाना जाता है, हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण है। यह विशेषकर व्रती दिनों में आचार्य और साधुओं द्वारा प्रशंसित है, लेकिन इसके साथ ही यह स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद है। इस लेख में, हम उपवास आहार के विभिन्न प्रकारों और उनके स्वास्थ्य लाभों की चर्चा करेंगे।

 सादा उपवास : रोजाना का रिस्ता आहार

सादा उपवास एक सरल रूप है जिसमें व्रती अनिन्द्रा का अनुभव करते हैं और रोजाना के आहार में सादगी बनाए रखते हैं। इस प्रकार का उपवास आहार पाचन को सुधारता है, शरीर को शांति प्रदान करता है, और ताजगी बनाए रखता है। यह रोगों के खिलाफ स्वास्थ्य रखने में मदद करता है और आत्मा को शुद्ध करने में साहायक होता है।

निराहारी उपवास : शारीरिक और मानसिक शुद्धि

निराहारी उपवास, जिसे अनेक बार तप के रूप में भी जाना जाता है, एक अध्यात्मिक अनुष्ठान है जिसमें व्यक्ति बिना किसी आहार के रहता है। इस उपवास का उद्दीपना वेदों और उपनिषदों में मिलता है। निराहारी उपवास से शरीर और मन का शुद्धिकरण होता है, जिससे व्यक्ति आत्मा की दिशा में बढ़ता है और अपने आत्मा के साथ एक होता है।

फलाहारी उपवास : फलों का संबलपूर्ण आनंद

फलाहारी उपवास में व्रती केवल फल और फलों से बने आहार का सेवन करते हैं। यह उपवास विभिन्न प्रकार के फलों की आत्मीयता को बढ़ावा देता है और शरीर को आवश्यक पोषण प्रदान करता है। फलाहारी उपवास से आत्मा को शुद्धि और आत्म-संयम की प्राप्ति होती है।

व्रती खाद्य : सात्विक आहार का अनुष्ठान

व्रती खाद्य में उस समय के अनुसार आचार्य और गुरुओं द्वारा निर्धारित भोजन का सेवन किया जाता है जो सात्विक आहार का हिस्सा होता है। इसमें विभिन्न धान्य, फल, सब्जियां, और दूध का उपयोग किया जाता है जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है और आत्मा को शुद्धि प्रदान करता है।

ड्रैगन फ्रूट

एकादशी उपवास : आहार और आत्मा का संरेखण

एकादशी उपवास में व्रती ग्यारह दिनों के बाद सुबह उठकर एक बार भोजन करते हैं। इसमें दाल, चावल, और हरी सब्जियां शामिल होती हैं, लेकिन अनाज और मांस नहीं होता। एकादशी उपवास से शारीरिक स्वास्थ्य का संरक्षण होता है और आत्मा को शांति मिलती है।

                                 उपवास आहार के चमत्कार
प्रकार विवरण स्वास्थ्य लाभ
सादा उपवास इसमें व्रती रोजाना का आहार सादगी से खाते हैं और अनिन्द्रा का अनुभव करते हैं। पाचन सुधार, शारीरिक और मानसिक शांति, ताजगी, और रोग प्रतिरोध में मदद।
निराहारी उपवास इसमें व्रती बिना किसी आहार के रहते हैं, जिससे शरीर और मन का शुद्धिकरण होता है। आत्मा की दिशा में बढ़ता है, आत्म-संयम, और शारीरिक और मानसिक शुद्धि।
फलाहारी उपवास इसमें व्रती केवल फलों का सेवन करते हैं, जो फलों की आत्मीयता को बढ़ावा देता है और पोषण प्रदान करता है। आत्मा को शुद्धि, और आत्म-संयम की प्राप्ति, और शारीरिक स्वास्थ्य का संरक्षण।
व्रती खाद्य इसमें उस समय के अनुसार आचार्यों और गुरुओं द्वारा निर्धारित भोजन का सेवन किया जाता है जो सात्विक आहार का हिस्सा होता है। शारीरिक स्वास्थ्य का संरक्षण, और आत्मा को शुद्धि प्रदान करने में मदद करता है।
एकादशी उपवास इसमें व्रती ग्यारह दिनों के बाद सुबह उठकर एक बार भोजन करते हैं, जिसमें दाल, चावल, और हरी सब्जियां शामिल होती हैं। शारीरिक स्वास्थ्य का संरक्षण, और आत्मा को शांति मिलती है।
नक्त-जगर उपवास इसमें व्रती रात्रि के समय के लिए नींद नहीं लेते और आत्मा के संयम का अभ्यास करते हैं। आत्मा की ऊर्जा को बढ़ाता है, और मानव जीवन को उच्चतम उद्दीपना की दिशा में मदद करता है।

नक्त-जगर उपवास : आत्मा के साथ मिलान

नक्त-जगर उपवास एक स्पष्ट समय की अवधि के लिए आहार न लेने की प्रक्रिया है जो आत्मा के साथ मिलान की अवस्था में किया जाता है। इसमें व्रती रात्रि के समय के लिए नींद नहीं लेते और आत्मा के संयम का अभ्यास करते हैं। यह उपवास आत्मा की ऊर्जा को बढ़ाता है और मानव जीवन को उच्चतम उद्दीपना की दिशा में मदद करता है।

इस प्रकार, विभिन्न प्रकार के उपवास आहार से स्वास्थ्य और आत्मा के लिए अनगिनत लाभ होता है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य का कई प्रकार से समर्थन करता है बल्कि यह आत्मा की ऊर्जा और शांति का स्रोत भी बनता है।

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FAQs : उपवास आहार के चमत्कार 

क्या सादा उपवास आहार से पाचन में सुधार होती है?

 हाँ

क्या निराहारी उपवास से आत्मा का शुद्धिकरण होता है?

हाँ

क्या फलाहारी उपवास से आत्मा को शुद्धि और आत्म-संयम की प्राप्ति होती है?

 हाँ

क्या एकादशी उपवास से शारीरिक स्वास्थ्य का संरक्षण होता है?

 हाँ

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