घर से लेकर निकले थे 25 रुपए, शिमला पहुंचकर बनायीं पहचान, कभी 40 रुपए पर करते थे काम, और आज 7000 करोड़ की कम्पनी

दुनिया की टॉप मोस्ट कम्पनी जो आज ब्रांड बन चुकी है, उनकी कहानी बहुत दिलचस्प रही है। और न सिर्फ उन बेहतरीन ब्रांड्स के पिछे की सफलता के पीछे संघर्ष छुपा हुआ है, बल्कि छुपा हुआ होता है बहुत सा दर्द। ऐसी ही एक दर्दभरी सफलता की कहानी है ओबेरॉय ग्रुप कम्पनी की। जिनके संस्थापक राय बहादुर मोहन सिंह ओबेरॉय जी है। और उन्होंने कभी 40 रुपए के लिए भी नौकरी करनी पड़ी थी। और आज उन्होंने ही करीब 7000 करोड़ की कम्पनी का टर्न ओवर कमाकर कमाल कर दिया है। लेकिन राय बहादुर मोहन सिंह ओबेरॉय के संघर्षो का मुकाबला शायद ही कोई कर पाय। वो आज दुनिया के जिस सफलता के पायदान पर खड़े है, वो वाकई ही कबीले तारीफ है।

वर्त्तमान में पाकिस्तान में स्तिथ झेलम में मोहन ओबेरॉय का जन्म हुआ था।

वर्तमान पाकिस्तान के झेलम में जन्मे थे राय मोहन ओबेरॉय

आज वर्त्तमान में स्तिथ झेलम में मोहन ओबेरॉय का जन्म हुआ था। और उन्होंने सिख परिवार में जन्म लिया था। बदकिस्मती तो जैसे उनके साथ बचपन से ही थी। पहले गरीबी की मार। ऊपर से जब वो सिर्फ 6 महीने के थे, तो उनके पिता चल बसे। और माता जी ने ही सारी जिम्मेदारी संभाली। जैसे जैसे वो बड़े हुए तो उन्होंने अपनी शिक्षा पर भी ध्यान दिया। और उन्होंने भनाउ के ही एक स्कूल से अपनी शुरुआती शिक्षा पूरी की। और आगे की पढ़ाई के लिए वो पाकिस्तान के रावलपिंडी शहर चले गए। शिक्षा पुरी होने के बाद सबसे बड़ी चुनौती थी रोज़गार की व्यवस्था करना। जो उन्हें नहीं मिल रहा था।

राय बहादुर मोहन सिंह ओबेरॉय ने कई जगह किया काम

घर की मज़बूरी को देखते हुए मोहन जी ने बहुत सी छोटी मोटी जगह काम किया। और उनके चाचा जी ने उन्हें एक जुते बनाने की दुकान में लगा दिया। लेकिन किस्मत ख़राब थी तो वो दुकान कुछ समय के बाद वो दुकान बंद हो गयी । और वो फिर से बेरोज़गार हो गए। ऐसे में उनके ऊपर शादी को लेकर भी बहुत दबाव बना गया ,और उनकी शादी हो गयी। जिसके बाद से उनकी जिम्मेदारी ओर भी बढ़ गयी।

मोहन रॉय ने 40 रुपए महीना वेतन पर किया काम
मोहन रॉय ने 40 रुपए महीना वेतन पर किया काम

40 रुपए महीना वेतन पर किया काम

मोहन रॉय ने शिमला जाने का फैसला लिया। और किसी विज्ञापन में नौकरी का ऐड देखकर माँ से 25 रुपए लेकर निकल पड़े। और होटल में काम करने पहुंचे। जहाँ उन्हें 40 रुपए की तन्खाव्ह पर काम पर रखा गया , उनके काम को देखते हुए उनकी तनख्वाह बढ़ा दी गयी।

मोहन रॉय ने साल 1934 में ओबेरॉय इंडस्ट्रीज की शुरुआत की।
मोहन रॉय ने साल 1934 में ओबेरॉय इंडस्ट्रीज की शुरुआत की।

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1934 में खोला ओबेरॉय ग्रुप

साल 1934 मोहन के लिए बहुत अच्छा रहा। उन्होंने अपनी खुद की मेहनत से जो होटल 5 साल की किस्तों में चुकाकर खरीदा था। उससे उनके हालात बदल गए। और साल 1934 में ओबेरॉय इंडस्ट्रीज की शुरुआत की। आज उनके द्वारा खोला गया ये ओबेरॉय ग्रुप एक बहुत बड़ा नाम नाम चुका है। और करीब 7000 करोड़ कसा साम्राज्य भी बना चुका है।

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