कहते है कि अगर आपके होंसले बड़े है. और आप भी बहुत हिम्मती है, तो आपको जीवन के किसी भी डगर में कोई भी असफलता नहीं मिल सकती है। चाहे फिर कुछ भी हो जाए ,आप कभी नहीं हार हार सकते। और वो कहते भी है न कि मन के जीते जीत है, और मन के हारे हार । और बात बिलकुल सही भी है, जो व्यक्ति पहले अपनी मन को जीत लेता है, उसे जीवन में कोई नहीं हरा सकता है। और जो व्यक्ति हार मानकर बैठ जाते है, उसे हार देखनी ही पड़ती है। और वो किस्मत के सहारे बैठ जाता है। और प्रयास भी नहीं करता है। आज जिनकी कहानी हम आपके लिए लेकर आये है। वो बहुत ही खास है , क्योकी उनकी होंसलो के सामने उनकी उम्र कुछ भी नहीं है। उनका नाम है रामबाई, वे 105 साल की है। और इस उम्र में भी उन्होंने नेशनल एथलिट की 100 की मीटर की रेस में भाग लेकर न सिर्फ उसे जीता ,. बल्कि उसमे एक नया रिकॉर्ड भी कायम किया है।
105 की उम्र में जीता पदक
एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से आयोजित ये दौड़ प्रतियोगिता में बहुत से युवाओ और उम्र के लोगो ने प्रतिभाग लिया था। और दौड़ते दौड़ते इस प्रतियोगिता में बहुत से प्रतिभागियो के पसीने छूट गए थे। लेकिन कमाल की बात तो ये थी कि, इन दादी जी ने जिनका नाम है रामबाई , उन्होंने 105 की साल की उम्र में भी इस दौड़ में भाग लिया है। और न सिर्फ इस दौड़ को जीता बल्कि अपनी उम्र को भी पछाड़ दिया है। और उन्होंने पदक भी हासिल किया है ।
अंतराष्ट्रीय टूर्नामनेट में भाग लेना चाहती है रामबाई
बता दे कि, इन सुपर परदादी जी का इस 100 मित्र की दौड़ से इतना मन उत्साहित हो गया है ,. कि वे बहुत ही प्रफुल्लित है। और वो आगे बढ़ना चाहती है। जिस उम्र में लोग इस बुढ़ापे को कोसते है। और एक बीमारी मानते है। उसी उम्र में रामबाई जी ने ये काम करके एक मिसाल कायम की है। क्योकि बुढ़ापे को बीमारी की जड़ कहा जाता है। जिस उम्र में इंसान के अंदर दौड़ने की तो क्या, उठने तक की हिम्मत नहीं होती है, उसी उम्र में उन्होंने इस दौड़ में भाग लिया। और पदक भी जीता है। और यही नहीं , उनका लक्ष्य है कि वो भविष्य में इंटरनेशनल टूर्नामेंट में भी भाग लेना चाहती है। वाकई सलाम है।
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