पत्थर ईंटे ढोकर, पैसे कमाकर पढ़ाया था बेटे को, बेटे ने आईएएस बनकर बढ़ायी इज़्ज़त, कभी सोकर भी गुज़री थी रातें

हमारे माता पिता हमारे लिए कितना कुछ करते है, हमेशा हमारे लिए तत्पर रहते है। चाहे जीवन के कैसे भी हालात क्यों न हो, हमे हमेशा सपोर्ट मिलता है। और इसीलिए उनका बच्चा आगे रहता है। और रही बात सफलता की। तो वो भी बहुत बड़ी बात होती है। और आज की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। जिसमे हम आज जानेंगे कि एक मज़दूर माता पिता की सहायता और उनके आशीर्वाद से आज ये युवक आईएएस अधिकारी बन गया है। क्योकि एक तो गरीबी में ही अपने आप में बहुत बड़ा संघर्ष होता है, और फिर ऐसे में उस गरीबी को पार करके सफलता के लिए आगे बढ़ाना ही अपने आप मे ही बहुत बड़ी बात होती है। और उस युवक का नाम है शरण कांबले। जो कि महाराष्ट्र के रहने वाले है। और एक गरीब परिवार में इनका जन्म हुआ है। और उन्होंने जीवन की इन्ही परिस्थियो से लड़कर ही स्वयं को खड़ा किया है। और अब वे एक आईएएस अफसर बन गए है। और गरीबी उनके माता पिता ने उन्हें मज़दूरी करके वाला पोसा था। और ऐसे में ये संघर्ष भी ओर खास हो जाता है। आईये जानते है शरण कांबले की सफलता की कहानी।

मज़दूरी करके पढ़ाया था माता पिता ने
मज़दूरी करके पढ़ाया था माता पिता ने

मज़दूरी करके पढ़ाया था माता पिता ने

बत दे कि ,शरण कांबले जी का जनम एक गरीब परिवार में हुआ है। और ऐसे में उन्होंने हर मुश्किल का सामना बहुत ही हिम्मत और संघर्ष के साथ किया है। और शरण कांबले जी के माता पिता ने उन्हें मज़दूरी करके पढ़ाया लिखाया था। और फिर शरण ने भी अपने माता पिता के संघर्षो का परिणाम अपनी सफलता के रूप में दिया है। शरण के पिता जी ने हर छोटे काम करके अपने परिवार का पेट पाला था। और उन्होंने अपने बेटे की पढ़ाई भी करवाई है।

8वी रैंक के साथ बन गए आईएएस अधिकारी
8वी रैंक के साथ बन गए आईएएस अधिकारी

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8वी रैंक के साथ शरण कांबले बन गए आईएएस अधिकारी

शरण कांबले जी ने अपने माता पिता की मज़दूरी करके मेहनत का परिणाम, आईएएस अधिकारी बनकर दिया है। और उन्होंने 8 वी रैंक लाकर आईएएस अधिकारी बने है। और वाकई में कमाल ही कर दिखाया है।

 ,शरण कांबले जी का जनम एक गरीब परिवार में हुआ है।
,शरण कांबले जी का जनम एक गरीब परिवार में हुआ है।

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