गरीबी एक ऐसा अभिशाप है, जो अच्छे अच्छे हुनर को दबा देती है और इंसान इतना मजबूर हो जाता है कि, कुछ मुकाम हासिल करने के लिए मुश्किलों से भी ज्यादा मुश्किलें झेलनी पड़ती है। क्योकि न सिर्फ कठिनाईयाँ पहले से अधिक बढ़ जाती है, बल्कि सफलता को पाने की मुश्किलें एकदम से बहुत बढ़ जाती है। क्योकि एक तो गरीबी में जीना ही इतना मुश्किल हो जाता है और फिर हर रोज का संघर्ष। कहानी एक ऐसे बेटे नुरुल हसन की, जिनका जन्म एक मलिन बस्ती में हुआ, और सारा जीवन बेहद गरीबी में बीता। पिता एक चपरासी थे, तो कभी पढ़ाई के आड़े उन्होंने गरीबी को नहीं आने दिया और नुरुल हसन सफलता का मुकाम हासिल करके सफलता की एक नई इबारत लिख दी।
उत्तर प्रदेश में जन्मे थे नुरुल हसन
बता दे कि नुरुल हसन का जन्म उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में हुआ था। और बेहद ही मुश्किलों भरे दिनों का सामना भी नुरुल को करना पड़ा था। क्योकि परिवार बहुत गरीब था, इसलिए उन्हें काफी परेशनियां भी होती थी। पिता जी एक साधारण सी छोटी सी चपरासी का नौकरी करते थे। जिससे बच्चो की लिखाई पढ़ाई ही बहुत मुश्किल से हो पाती थी। और तो उन्हें खाने पीने तक का का खर्चा भी बहुत मुश्किल से निकल पाता था।
नुरुल हसन अंग्रेजी में था हाथ तंग
नुरुल जिस विद्यालय में पढ़ने जाते थे, उसकी हालत इतनी ख़राब थी, कि उसकी छत से पानी भी टपकता था। और मूलभूत सुविधाओं की भी कमी थी। लेकिन नुरुल ने फिर भी उन परिस्थतियो में पढ़ाई की। और वो अंग्रेजी में काफी कमज़ोर थे। लेकिन उन्होंने अपनी इस कमी को अपनी कमज़ोरी नहीं बनने दिया। और अपने अथक प्रयासो से अपनी अंग्रेजी भी ठीक कर ली थी।
पिता ने बेच दी पढ़ाई के लिए बेच दी ज़मीन
नुरुल हसन ने अपनी स्कूली की पढ़ाई तो किसी तरह से पूरी कर ली थी, लेकिन उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए काफी परेशानी होने लगी। वो 12 के बाद बी-टेक करना चाहते थे, लेकिन कोचिंग की फीस के लिए उनके पिता के पास इतने पैसे नहीं थे, जिससे कि वो उन्हें आगे पढ़ा पाये, फिर उनके पिता ने भी अपने बेटे की पढ़ाई के लिए अपनी ज़मीन ही बेच दी। और नुरुल को आगे पढ़ाया।
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जॉब के साथ साथ की तैयारी
बी टेक के बाद नुरुल की भाभा अनुसन्धान में जॉब भी लग गयी थी। जिसके बाद वो अपने परिवार का सहारा बन गए थे। और इसके साथ ही उनके मन में आईपीएस बनने का सपना भी पल रहा था, जिसके लिए नुरुल ने तैयारी भी करना शुरू कर दी थी। और फिर नुरुल ने पूरी मेहनत से की तैयारी की और वो बन गए आईपीएस अफसर।
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