बचपन बीता रोटी जुटाने में, पेट की भूख ने पंहुचा दिया मज़दूरी करने के लिए, आज यही बंधुआ मज़दूर का बेटा बन गया करोड़ो का मालिक

मजबूरी हर इंसान के जीवन मे आती है। और इंसान को ये चीज़ कभी न कभी मुश्किलों का सामना करता है। और हम आपके लिए कई ऐसी कहानीयाँ लेकर आते रहते है। जिनसे आपको प्रेरणा मिलती रहती है। जिनसे आपको प्रेरणा मिलती है। और जीवन में आगे बढ़ते रहते की सीख भी मिलती है। आज हम जो कहानी आपके लिए लेकर आये है। वह बहुत ही प्रेरणा दायी है। क्योकि आज की कहानी है फर्श से अर्श तक की। जहाँ पे हम आपको एक मजदुर के बेटे जिसका नाम मधुसुधन है जिनके माता पिता ने मजदूरी करके उन्हें पाला था। और जिसका परिणाम ये रहा कि, मधुसूदन ने उन्हें उनकी मेहनत और मज़दूरी का परिणाम ये रहा कि, उनके बेटे ने खुद की कम्पनी शुरुआत की थी। और आज वे करोड़ो का बिज़नेस कर रहे है। और अपने साथ साथ ओर भी लोगों का भला कर रहे है। आईये उनकी इस सफलता की कहानी के बारे में जानते है।

मजदुर के बेटे जिसका नाम मधुसुधन है जिनके माता पिता ने मजदूरी करके उन्हें पाला था।
मजदुर के बेटे जिसका नाम मधुसुधन है जिनके माता पिता ने मजदूरी करके उन्हें पाला था।

10 सदस्य थे परिवार में

बता दे कि, मधुसदन के परिवार में करीब 10 सदस्यों के साथ रहते थे। और इन सबके बीच ही मधुसूदन पले बड़े थे। और उनके माता पिता ने उन्हें बहुत ही मेहनत से मज़दूरी करके पाला था। बल्कि सबसे हैरानी भरी बात तो ये है कि, मधुसूदन के माँ पिता ने करीब 18-18 घंटो तक मज़दूरी करके उनके पालन पोषण किया था। ऐसे में खाने पीने के पैसे तक जुटाना ही बहुत मुश्किल हो जाता था। और ऐसे में पढ़ाई करवाना तो बहुत दूर की बात है। और मधुसूदन ते सब देखते हुए ही बड़े हो रहे थे।

मधुसूदन जी के घर में खाने पीने की भी परेशानी थी। तो ऐसे में उन्होंने सोशल वेलफेयर हॉस्टल से अपनी 12वी की पढ़ाई की थी
मधुसूदन जी के घर में खाने पीने की भी परेशानी थी। तो ऐसे में उन्होंने सोशल वेलफेयर हॉस्टल से अपनी 12वी की पढ़ाई की थी

सोशल वेलफेयर हॉस्टल से हासिल की 12 वी डिग्री

बता दे कि, जहाँ एक ओर मधुसूदन जी के घर में खाने पीने की भी परेशानी थी। तो ऐसे में उन्होंने सोशल वेलफेयर हॉस्टल से अपनी 12वी की पढ़ाई की थी। उसके बाद उन्होंने बहुत बार नौकरी के लिए कोशिश की। लेकिन उन्हें कहीं पर नौकरी नहीं मिल पा रही थी। जिसकी वजह से वो काफी परेशान हो गए थे। क्योकि वो अपने परिवार की मदद नहीं कर पा रहे थे।

किसी तरह शुरू की खुद की कम्पनी
किसी तरह शुरू की खुद की कम्पनी

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मधुसूदन किसी तरह शुरू की खुद की कम्पनी

कुछ समय के बाद मधुसूदन ने जैसे तैसे कुछ पैसे इक्क्ठा करके एक कम्पनी की शुरुआत की थी। उन्होंने अपनी मेहनत से उस कम्पनी में काम किया। और जोकि उन्होंने अपने परिवार को इतनी मेहनत करते हुए देखा था। जिसके कारण उन्होंने भी मेहनत करके अपनी कंपनी को आगे बढ़ाया।

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