अगर कुछ कर गुज़रने की इच्छा हो, तो क्या नहीं कर सकते है। बस इच्छा शक्ति मजबूत होनी चाहिये, हर मुश्किल आसान हो जाती है , और मुश्किलें चाहे कैसी भी हो, अगर होंसला मजबूत हो, तो हर मुश्किल आसान हो जाती है, और मंज़िल साफ़ नज़र आ जाती है। और फिर मजबूरियां भी अच्छी लगने लगती है। और सब कुछ अच्छा होने लगता है। आज कहानी एक ऐसी बेटी मनीषा धात्रक की, जिनके पिता खुद एक किसान है। और खेती से जुड़ाव होने के कारण मनीषा धात्रक के अंदर खेती से जुडी दिलचस्पी थी। और मनीषा धात्रक ने एग्रो फ़ूड इंडस्ट्री में में कुछ इस तरह से पाव जमाये थे कि आज तक भी वो काफी अच्छा खासा करोड़ो का बिज़नेस कर रही है।
किसान की बेटी है मनीषा धात्रक
भारत में जन्मी मनीषा धात्रक का जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार से हैं और ये परिवार कुछ खास अमीर परिवार से नहीं था। और आज की इस खास कहानी में हम आपको एक किसान परिवार की लड़की मनीषा धात्रक की सफलता की कहानी बताने जा रहे है ,जिसने एक अनोखा बिज़नेस किया। और कई गरीब लोगो को रोज़गार भोई दे रही रही है। आज मनीषा धात्रक सबसे यूनिक और अनोखा बिज़नेस चला रही रही है। दरसल वो “वरुण एग्रो फ़ूड इंडस्ट्री ” के नाम से चला रही है। जिसमे वो कट्स खेतो में टमाटर से सॉस और भी कई स्नैक्स के साथ खाने वाले प्रोडक्ट्स बनके बेचकर मुनाफा कमा रही है।
मनीषा धात्रक शादी के बाद सोचा बिज़नेस के बारे में
मनीषा धात्रक की शादी भी एक माध्यम वर्गीय किसान परिवार में हुआ था। और मनीषा धात्रक ने शादी के बाद ही बिज़नेस शुरू करने की सोची थी। लेकिन उन्हें कोई बिज़नेस का कोई ज्ञान नहीं था, लेकिन कुछ काम करने की चाह में उन्होंने एग्रो इंडस्ट्री का कोर्स किया। और ज्ञान हासिल किया था। क्योकि उनके आसपास का सारा माहौल खेती किसानो का था ,और उन्होंने एक टमाटर की अच्छी फसल को देखकर ये सोचा कि रॉ मटेरियल है। और उसी से बिज़नेस करने की सोची। और शुरू किया वरुण एग्रो फ़ूड इंडससटरी का नई स्टार्ट अप।
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बैंक से लोन लेकर शुरू किया काम
मनीषा के स्टार्ट अप के दौरान उनके सामने एक सबसे बड़ी समस्या थी फण्ड की। और इसलिए उन्होंने कई बैंक में लोन लेने के लिए अप्लाई किया। लेकिन उन्हें कई से भी लोन नहीं मिला, और बाद में किसी तरह से उन्हें लोन मिल गया गया था। और उन्होंने शुरुआत में 17 एकड़ की ज़मीन में में काम शुरू किया था। और पूरी लगन से उस कम्पनी को आगे ले गयी ,और आज वरुण एग्रो फ़ूड इंडस्ट्री एक नाम बन चुकी है।
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