कहते है कि अगर आपकी प्रतिभा अच्छी है, और आप साधनो के अभाव में भी निखारने की कला जानते है। तो फिर आपसे बेहतर भविष्य किसी का नहीं। और आपको सफलता मिलने से कोई नहीं रोक सकता है। और फिर मुश्किलें चाहे कितनी भी हो, सफलता मिल ही जाती है ,बस सही हौंसला रखने की ज़रुरत होती है। और जो व्यक्ति सफलता मिलने के बाद भी अपनी धरती और ज़मीन से जुड़ा हुआ रहता है। वही सफल होता है। भूदी की ढ़ाणी निवासी मजदूर बनवारीलाल निठारवाल के बेटे सोहन लाल निठारवास की कहानी हम यहाँ लेकर आये है। जिन्होंने कि यूपीएसी की परीक्षा में न सिर्फ सफलता प्राप्त की, बल्कि उन्होंने 201 रैंक प्राप्त करके आईएएस का पर प्राप्त किया। दसरसल सबसे सुंदर बात उनके विषय में ये है, कि उन्होंने आईएएस अफसर बनने के बाद भी खुद को अपने आप को ज़मीन से जोड़े हुए रखा हुआ है। और आईएएस अफसर बनने के बाद भी जब उन्हें टाइम मिलता है ,तो यह गाँव में खेती करने के लिए जाते है।
पिता है मज़दूर, लेकिन बेटे को बनाया अफसर
बता दे कि, सोहन लाल निठारवास के पिता ने मज़दूरी करके अपने बेटे की पढ़ाई पूरी करवाई। वे स्वयं पढ़े लिखे नहीं है। लेकिन उन्होंने अपने बेटे सोहन की पढ़ाई में कोई भी कमी नहीं छोड़ी है। और इसी वजह से सोहन ने भी उनकी मेहनत का ख्याल रखते हुए आईएएस की परीक्षा पास की है। और एक मिसाल कायम कर रहे है। वे आईएएस अफसर बनने से पहले भी अपने पिता के साथ खेती में हाथ बटाया करते थे। और आईएएस अफसर बनने के बाद भी वो अक्सर अपने गाँव में जाकर अपने पिता के साथ खाली समय में खेती करते है ,यही बात उन्हें खास बनाती है।
सोहन लाल निठारवास ने सरकारी स्कूल से पूरी की शिक्षा
गरीबी के बाद भी सोहन के पिता ने उसे अच्छी शिक्षा देने का पूरा प्रयास किया था। और बल्कि साधनो एक अभाव में अच्छे और महंगे स्कूल में फीस के पैसे नहीं थे ,इसलिए सोहन ने सरकारी स्कूल से ही शिक्षा प्राप्त की। और पुरे मन से पढ़ाई की। और अच्छे अंको के साथ अपना स्कूल पूरा किए था।सोहन निठारवाल का चयन IIT दिल्ली के लिए भी हुआ था। लेकिन उन्होंने अपने आईएएस की बनने की राह ही चुनी ,जिसके लिए प्रयासरत थे। और आईएएस की परीक्षा देकर उसमे 201 वी रैंक भी हासिल की।
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सोहन निठारवाल आईएएस बनने के बाद भी करते है खेती
सोहन को जो सबसे खास बनाती है, वह है उनकी सादगी। और उच्च विचार। वाकई कई लोग ऐसे होते है ,जो सफलता के बाद अपनी जडो को भूल जाते है। लेकिन सोहन ने ऐसा नहीं किया। और जैसे वह पहले मेहनत करते थे ,वैसे ही IAS असफर बनने के बाद भी खेती का काम करते है।
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