पिता ने अख़बार बेचकर तो, कभी गली गली घूमकर बढ़ई का काम किया, ताकि बेटा पढ़ सके, बेटे ने भी बोर्ड परीक्षा में टॉप करके सफल किया पिता का संघर्ष

हाल ही में कई राज्यों में बोर्ड के परिणाम जारी हुए है। और कई होनहार छात्रों ने टॉप करके कमाल किया है। और नाम रोशन किया है। और उन्ही नाम में कई गरीब घर के बच्चो के नाम आते है। उनमे से अभिजीत शर्मा का नाम भी शामिल है। और वे झारखण्ड के रहने वाले है। उनके पिता जी अखिलेश शर्मा जी ने लकड़ी का काम करके अपने बेटे को पढ़ाया है। और मेहनत का फल अभिजीत ने उन्हें स्टेट टोपर बनकर दे दिया है। जिसके बाद न सिर्फ उनके परिवार का मान बढ़ा है, बल्कि देश का नाम भी बढ़ाया है। अभिजीत के पिता जी के दिन की शुरुआत दिन में सुबह सुबह जल्दी उठकर अखबार बांटने से होती है। और इसके बाद उसके पिता गली गली में घूमकर बढ़ाई कला काम करते है। जिसके बाद किसी तरह से घर खर्च चल पाता है। जिसके बावजूद अभिजीत की पढ़ाई ही बहुत मुश्किल से हो पाती थी। और इन सबके हालतो के बाद भी अभिजीत ने स्टेट में बोर्ड परीक्षा मे टॉप करके एक पहचान बनायीं है।

अभिजीत ने झारखण्ड की बोर्ड की परीक्षा में 500 में से 490 नंबर हासिल किये है।
अभिजीत ने झारखण्ड की बोर्ड की परीक्षा में 500 में से 490 नंबर हासिल किये है।

अभिजीत शर्मा हासिल किये 500 में से 490 मार्क्स

अभिजीत ने झारखण्ड की बोर्ड की परीक्षा में 500 में से 490 नंबर हासिल किये है। और उन्होंने इसी के साथ स्टेट बोर्ड में टॉप करके क्षेत्र का नाम भी रोशन कर दिया है। और अभिजीत जी ने स्टेट में टॉप करके नाम भी रोशन किया है।और ये वाकई बहुत खास बात भी है, क्योकि बोर्ड की परीक्षा बहुत मुश्किल होती है। और ऐसे में इतने गरीब बच्चे का बोर्ड में टॉप करना भी बहुत बड़ी बात है। और अभिजीत उन्ही बच्चो के उदाहरण में से एक है।

पिता ने कभी बेचे अखबार, तो कभी किया बढ़ई का काम
पिता ने कभी बेचे अखबार, तो कभी किया बढ़ई का काम

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पिता ने कभी बेचे अखबार, तो कभी किया बढ़ई का काम

अभिजीत शर्मा के पिता जी भी अपने बेटे को पढ़ाने के लिए संघर्ष किया है। उन्होंने सुबह के समय में पैसो के लिए अख़बार भी बेचा है। और फिर बाद के समय में दिन भर धुप में गलियों में घूम घूमकर बढ़ई का काम भी किया है। जिसमे वो घरो में जा जाकर उनकी कुर्सियां और फर्नीचर का सामान ठीक करके थोड़े बहुत पैसे कमा लेते थे।

हासिल किये 500 में से 490 मार्क्स
हासिल किये 500 में से 490 मार्क्स

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