जातिभेद की समस्या एक ऐसी व्यापक समस्या थी। जिसने सामाजिक असमानता को जन्म दिया है। और जिससे सबसे ज्यादा समाज का निचला वर्ग या फिर यूँ कहे कि दलित वर्ग प्रताड़ित रहा है। लेकिन कहते है न कि मुश्किलों का सफर को अगर कोई हंसकर पार कर देता हैं। तो सफलता उसकी दोस्त बन जाती है। और फिर हर मुश्किल आसान हो जती है। आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स अशोक खाड़े की कहानी बताने जा रहे है। जो भले ही एक दलित परिवार से हो, लेकिन उनकी कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है। एक समय पर उनका और उनके परिवार का मंदिर में प्रवेश बंद था। लेकिन अशोक खाड़े ने इतनी ऊंचाइयों को छू लिया। कि उन्होंने सफलता के बाद खुद एक मंदिर का निर्माण करवाया।
अशोक खाड़े के पिता थे मोची और माँ थी मज़दूर
बता दे कि अशोक खाड़े जो कि आज इतने बड़े बिजनेसमैन बन गए है।वो 4000 से भी ज्यादा लोगों को रोज़गार दे रहे है। एक समय पर उन्हें बहुत सी बुरी परिस्थियो का सामना करना पड़ा। एक समय ऐसा था, जब अशोक खाड़े जी के पिता अपने पारम्परिक काम यानि मोची का काम करते थे। और माँ पेशे से एक मज़दूर थी। उस समय गरीबी का बहुत प्रभाव था। और खाने तक की दिक्क्तें होती थी। इस वजह से उनका जीवन काफी कठिन था। और उन्हें मंदिर में प्रवेश तक नहीं मिलता था।
इसे भी अवश्य पढ़े:- बिहार का ये 64 साल का किसान उगा रहा है, मैजिक राइस, जो बिना किसी ईंधन के पकेंगे सिर्फ सादे पानी में
अशोक खाड़े की जैसे तैसे पूरी करवाई पढ़ाई
अशोक खाड़े का जन्म महाराष्ट्र के सांगली ज़िले के पेड गांव में हुआ था। माता पिता इतने गरीब थे कि खाने पीने तक की दिक्क्तें होती थी। कुछ समय के बाद अशोक के पिता मुंबई जाकर काम की तलाश करने लगे। और वहीं पर मोची का काम शुरू किया। लेकिन फिर भी पढ़ाई के महत्व को समझते हुए उन्होंने अशोक खाड़े को पढ़ाया लिखाया ,और इस काबिल बना दिया कि वो आज अपने ही जैसी गरीबी झेल रहे मज़दूरों को रोज़गार दे रहे है।
भाई Mazgaon Dockyard में करता था काम
अशोक खाड़े का भाई Mazgaon Dockyard कम्पनी में एक वेल्डर के रूप में काम कर रहा था। और उसी कम्पनी में एक ट्रेनर के तौर पर अशोक ने भी काम करना शुरू किया। 1983 में अशोक को जर्मनी जाने का अवसर मिला जहाँ पर उन्होंने उद्यमी बनने का विचार किया ,और अपनी स्किल्स पर काम करना शुरू कर दिया।
साल 1995 में शुरू की खुद की कम्पनी
अशोक खाड़े ने कई परेशनियां झेलकर आख़िरकार 1995 में खुद की कम्पनी खड़ी करने का विचार सच कर दिखाया। और शुरू किया DAS Offshore । DAS Offshore का मतलब है -दत्ता, अशोक और सुरेश यानी तीनों भाइयों के नाम। और उन्होंने अपनी पहली जॉब Mazgaon Dockyard कम्पनी में की थी। और वहीँ के कुछ दोस्तों की मदद से अपनी खुद की कम्पनी का पहला प्रोजेक्ट पूरा किया। और इसके आलावा अशोक खाड़े की ये कम्पनी तेल रिसाव का निर्माण और नवीनीकरण पर भी काम करती है। अशोक ने पूरी मेहनत से काम किया और अपने कस्टमर्स बनाने शुरू किये और आज उनके कस्टमर्स में ONGC, Essar, Hyundai आदि शामिल है।
इसे भी अवश्य पढ़े:- बचपन में ही पिता चल बसे थे ,लेकिन हिम्मत का नहीं छोड़ा साथ, जिस कम्पनी से कभी रिजेक्ट हुए थे ,उसी का कॉन्ट्रैक्ट लेकर …
इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद , ऐसे ही दिलचस्प किस्से जानने के लिए जुड़े रहिये समाचार बड्डी के साथ, और हमारे फेसबुक पेज को फॉलो करना न भूले!