सफलता प्राप्त करने के लिए हमे बहुत सी मुश्किलों से होकर गुज़रना पड़ता है। और मुश्किलों के सफर से ही सफलता की मंज़िल मिलती है। और परेशनियां तो इस जीवन का हिस्सा है, और इनका आना जाना तो लगा ही रहता है। लेकिन उन मुश्किलों से कैसे लड़ना है, ये सिर्फ हमारे हाथ में होता है। इसलिए कहते है कि सफलता आसानी से नहीं मिलती है, है तो उसका आनंद सबसे अलग होता है। कहानी आज एक ऐसी लड़की श्वेता अग्रवाल की, जिन्होंने कठिन से कठिन परिस्थतियों में भी हार नहीं मानी, और ज़िंदगी का सबसे मुश्किल मुकाम हासिल किया। उनके पिता ने एक किराने की दुकान में भी काम किया ,और अपनी बेटी को पढ़ाया।और श्वेता अग्रवाल ने भी अपनी पिता की मेहनत का मान रखते हुए आईएएस बनकर उनका नाम गर्व से ऊँचा कर दिया।
पश्चिम बंगाल में जन्मी थी श्वेता अग्रवाल
बता दे कि श्वेता अग्रवाल का जन्म पश्चिम बंगाल के हुगली में हुआ था। और वो एक मारवाड़ी परिवार से ताल्लुक रखती थी। और उनके पिता एक किराने की दुकान में काम करके अपना घर का खर्च चलाते थे और उन्होंने श्वेता की पढ़ाई में भी किसी तरह की कोई कमी नहीं आने दी। क्योकि उनका परिवार बहुत बड़ा था ,और उसमे करीब 28 सदस्य थे ,तो पैदा होते ही श्वेता को भी कई तरह से मदभेद का सामना करना पड़ा था। लेकिन इसके बावजूद भी वो कमज़ोर नहीं पड़ी, और आईएएस का एग्जाम देकर उसमे सफलता हासिल की।
शुरू से ही अच्छी थी पढ़ाई में
श्वेता शुरू से ही पढाई में काफी होशियार थी। जिसके कारण उन्होंने स्कूल में बहुत अच्छे मार्क्स लाये थे। और श्वेता के घर जब भी कोई मेहमान आता था, उन्हें भेंट स्वरुप जो भी पैसे मिलते थे, वो सब श्वेता अपने माता पिता को दे देती थी, जिससे कि उनके स्कूल की पढ़ाई का खर्चा निकल सके। और श्वेता ने जैसे तैसे अपना स्कूल तो पूरा कर लिया। लेकिन उन्हें कॉलेज की पढ़ाई के लिए संघर्ष करना पड़ा था ,क्योकि उनके खानदान में कोई भी ग्रेजुएशन तक नहीं पहुंच पाया था। लेकिन उन्होंने किसी तरह से माता पिता के सहयोग से आगे की पढ़ाई पूरी की।
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ऐसे बन गयी आईएएस अफसर
अच्छी मेहनत और तैयारी के बाद साल 2013 में श्वेता ने पहली बार UPSC की परीक्षा दी जिसमे उनकी 497 वी रैंक आयी थी। और उन्हें इंडियन रेवेन्यू सर्विस मिली ,लेकिन वो खुश नहीं थी, इसलिए उन्होंने दोबारा प्रयास करने की ठानी। लेकिन अपने दूसरे प्रयास में भी वह विफल हो गयी ,लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी ,और निरंतर प्रयास जारी रखा। और उन्होंने साल 2015 में एक बार फिर से प्रयास किया। लेकिन इस बार उन्हें आईपीएस का पद मिला ,वो फिर भी नहीं हारी। और फिर प्रयास में लग गयी और आखिरकार उन्होंने साल 2016 में एक बार फिर से एग्जाम क्लियर किया। और इस बार उन्होंने 19 वी रैंक के साथ आईएएस का का पद हासिल किया।
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