वो कहते है न कि संघर्ष ही सफलता का नियम है। और सफलता का आनंद भी संघर्ष से दुगना हो जाता है। और गरीबी से निकले कई ऐसे अभ्यर्थी होते है, जो या तो किसी न किसी मुश्किल से गुज़र रहे होते है , या फिर संघर्षो के अलग ही स्तर के साथ जीवन जीते है। और सफलता का असली महत्व कायम करते है। और आज जिनकी कहानी आज हम बताएँगे, उनका नाम है पवन कुमार कुमावत। उन्होंने दिन रात एक करके पढ़ाई की। और लालटेन की रोशनी में पढ़ते थे। और उन्होंने संघर्ष करके अपनी एक पहचान बनायीं थी। आज वो एक आईएएस अफसर भी बन गए है। और उनका जीवन भी मुश्किलों के घेरे से होकर गुज़रा है। और उन्होंने जीवन की हर मुश्किल परिस्थति में अपने आप को संभाला था। और उनके पिता एक ट्रक ड्राइवर भी है।
झोपडी में बीता जीवन
पवन कुमार जी का जीवन झोपडी में बीता था। और वो बहुत ही गरीब परिवार से है। इसी कारण उन्होंने बहुत ही मुश्किल भरे दिन देखे और जीए है। पवन कुमार जी राजस्थान के रहने वाले है। और उन्होंने लालटेन की रोशनी में भी पढ़ाई की है। उनके पिता एक ट्रक ड्राइवर है। और महज़ 4 हज़ार रुपए ही कमा पाते है। और पवन कुमार का जीवन भी मज़बूरी और गरीबी में बीता है। और उन्होंने बहुत ही मेहनत करके स्वयं के संघर्ष से इस सफलता को हासिल किया है। वाकई उनका ये प्रेस सराहनीय है।
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पवन कुमार ने लालटेन से की दिन रात पढ़ाई
पिता एक ट्रक ड्राइवर है। और जिस घर में राजस्थान में पवन कुमार रहते थे, वहां पर लाइट की कोई व्यवस्था नहीं थी। जिसकी वजह से उन्हें लालटेन की रोशनी में पड़ाई करनी पड़ती थी। और सबसे खास बात तो ये है कि, उन्होंने इतने संसाधनों के अभाव मे भी पड़ाई की थी। न सिर्फ यूपीएसी जैसे एग्जाम की तैयारी की, बल्कि उसमे सफलता भी हासिल की थी। उनकी कहानी आज हर उस इंसान के लिये प्रेरणा लायक है, जो अक्सर समय में संसाधनों के अभाव के चलते घुटने टेककर बैठ जाते है। और आगे नहीं बढ़ते है। और पवन को भी आईएएस बनने की प्रेरणा एक समाचार की हेड लाइन से मिली थी। जिसमे लिखा था कि रिक्शा चालक का बेटा बना आईएएस। और बस उसी कहानी ने उनकी ज़िंदगी को बदलकर रख दिया था।
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