पिता ने दिन रात मेहनत करके बेटी को पढ़ाया बेटी ने भी पिता का मान बढ़ाते हुए पास की upsc परीक्षा, और बन गयी आईएएस अफसर

आपने कई ऐसे लोगों के उदाहरण देखे होंगे, जिन्होंने सफलता पाने की ज़िद्द कुछ ऐसे कि, उनकी कहानी इतिहास बन गयी। और हमे ही नहीं बल्कि समाज को भी प्रेरणा मिलती है। लेकिन ऐसे में हमे एक बात जो समझनी चाहिए कि सपना तो परिवार का एक बच्चा देखता है। लेकिन किसी परिवार में उसे पूरा करने के लिए पूरा पूरा ज़ोर लगाया जाता है। मतलब सपना किसी एक एक का होता है, लेकिन उसे पूरा परिवार सच करता है। ऐसी ही एक खुशकिस्मत लड़की है, ममता यादव। ममता यादव ने पापा की इच्छा और खुद के सपने को हकीकत में बदलने के लिए ज़मीन आसमान एक कर दिया था। और पुरे मन से प्रयास किया। और न सिर्फ आईएएस की परीक्षा को पास किया, बल्कि उसमे अच्छी खासी रैंक भी हासिल की थी।

ममता ने अपने पिता के सपने को साकार कर दिखाया
ममता ने अपने पिता के सपने को साकार कर दिखाया

हरियाणा की रहने वाली है ममता यादव

बता दे कि भारत की ये बेटी हरियाणा राज्य के महेंद्रगढ़ जिले की रहने वाली है। और ममता यादव एक बहुत ही साधारण परिवार से सम्बन्ध रखती है। और उनके पिता एक प्राइवेट फैक्ट्री में काम करके किसी तरह से घर चला रहे थे। और ममता शुरू से ही पढ़ाई में अच्छी थी। जिस कारण उन्हें उनका परिवार शुरू से ही सिविल सेवा परीक्षा के लिए प्रेरित करता था। और उन्हें परिवार की तरफ से पूरा सपोर्ट मिलता था। जो कि आगे चलकर उनकी हिम्मत बने।

ममता ने अपने पहले ही प्रयास में ममता ने 5 वी रैंक हासिल करके इतिहास रच दिया।
ममता ने अपने पहले ही प्रयास में ममता ने 5 वी रैंक हासिल करके इतिहास रच दिया।

 पहले ही प्रयास में पायी सफलता

बता दे कि ममता यादव का यह पहला प्रयास था। और अपने पहले ही प्रयास में ममता ने 5 वी रैंक हासिल करके इतिहास रच दिया। उसने न सिर्फ इस कठिन परीक्षा को पास किया, बल्कि इस परीक्षा में 5 वी रैंक हासिल करके टोपर भी बन गयी। और अपना और अपने परिवार का नाम भी रोशन किया।

ममता अपने गांव के लिए एक प्रेरणा श्रोत बनकर सामने आयी है।
ममता अपने गांव के लिए एक प्रेरणा श्रोत बनकर सामने आयी है।

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गाँव के लिए बन गयी प्रेरणा ममता यादव

बता दे कि ममता अपने गांव के लिए एक प्रेरणा श्रोत बनकर सामने आयी है। क्योकि ममता यादव अपने गाँव की पहली ऐसी लड़की है, जो कि आईएएस बन गयी है। और महिलाओं के उथान के लिए कार्य कर रही है। और वो ऐसे ही जनकल्याण कार्य करते रहना चाहती है। वैसे आपको बता दे कि ममता की पहले 556 वी रैंक आने के कारण उन्होने भारतीय रेलवे कार्मिक सेवा में जाने का फैसला किया था। लेकिन उनकी रैंक से वो खुश नहीं थी। और दोबारा प्रयास में जुट गयी थी। और इस बार 5 वी रैंक के साथ उन्होंने upsc में टॉप किया।

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