एक तरफ जल रही थी पिता की चिता, तो दूसरी तरफ था जीवन का लक्ष्य, लेकिन चुना लक्ष्य का रास्ता, क्योकि पिता का सपना था बेटी कुछ बने

किसी भी बेटी के लिए अपने परिवार से बढ़कर कुछ नहीं होता। और अगर परिवार की इच्छाए और सपने उसके लक्ष्य से जुड़े हुए हो तो वो किसी भी परिस्थति में वो उन लक्ष्यों को पूर्ति करने का पूरा प्रयास करता है। ऐसी ही एक बेटी है साक्षी श्रीवास्तव। जिन्होंने अपने पिता की चिता अग्नि को बीच में ही छोड़कर अपनी परीक्षा देने का कड़ा फैसला लिया। जी हाँ। सुनने में और समझने में ज़रा मुश्किल है। लेकिन सच यही है। किसी भी बेटियो के लिए ये घडी बहुत नाज़ुक होती है। और ऐसे में अपने लक्ष्य को ध्यान में रखना भी बहुत बड़ी बात होती है। और ऐसा साक्षी ने इसलिए किया, क्योकि ऐसा उनके पिता चाहते थे। कि उनकी बेटी साक्षी श्रीवास्तव अपने लक्ष्य को पूरा करे।

साक्षी को बड़ी बहन से मिली प्रेरणा IBPS की
साक्षी को बड़ी बहन से मिली प्रेरणा IBPS की

साक्षी श्रीवास्तव बड़ी बहन से मिली प्रेरणा IBPS की

साक्षी श्रीवास्तव की बड़ी बहन स्नेहा श्रीवास्तव ने भी साल 2015 में IBPS की परीक्षा पास की थी। और वो वर्तमान में बैंक ऑफ़ बड़ोदा में कार्यरत है। उनकी बहन की भी लक्ष्य के प्रति काफी मेहनती थी। और उनसे ही साक्षी ने भी मेहनत करके आगे बढ़ना सीखा था। और उन्होंने भी IBPS PO की तैयारी की। और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ी। और ऐसे में उनके स्वर्गीय हो चुके पिता ही उनकी हिम्मत थे। जिन्होंने अपने तीनो बेटियों के लिए कोई कमी नहीं छोड़ी। और हमेशा उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देते रहे थे। यही उनकी हिम्मत बने रहे।

जिस दिन साक्षी की परीक्षा थी। इसी बीच उनके पिता का अचानक निधन हो गया था
जिस दिन साक्षी की परीक्षा थी। इसी बीच उनके पिता का अचानक निधन हो गया था

साक्षी श्रीवास्तव पिता का हो गया अचानक निधन

जिस दिन साक्षी की परीक्षा थी। इसी बीच उनके पिता का अचानक निधन हो गया था। जिसके कारण वो और उनका पूरा परिवार टूट चूका था। ऐसे में साक्षी के सामने यही दुविधा थी, कि वो अपना लक्ष्य IBPS की ओर बढे या फिर परिवार के साथ इस दुःख में रहे। लेकिन उन्होंने फिर अपनी पिता की इच्छा को याद किया। और उन्हें ये कड़ा फैसला लेने में आसानी हुई। वो अपनी परीक्षा देने पहुंची। और उसका परिणाम भी उनके लिए अच्छा रहा।

 उनके पिता की मृत्यु हुई, तो साक्षी की छोटी बहन अपने पिता की चिता को मुखाग्नि दी।
उनके पिता की मृत्यु हुई, तो साक्षी की छोटी बहन अपने पिता की चिता को मुखाग्नि दी।

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छोटी बेटी ने भी किया कमाल

साक्षी श्रीवास्तव की सबसे छोटी बहन समृद्धि श्रीवास्तव ने समाज की बेड़िया तोड़कर एक मिसाल कायम की है। जिस दिन उनके पिता की मृत्यु हुई, तो उन्होंने अपने पिता की चिता को मुखाग्नि दी। इस तरह से स्वर्गीय शैलन्द्र श्रीवास्तव जी की तीनो बेटियों ने उनका नाम रोशन किया है। और समाज के लिए एक उदाहरण बन चुकी है।

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