माना ये सफर मुश्किल तो है, लेकिन नामुमकिन तो नहीं है, मंज़िल मिलेगी ज़रूर कोशिश तो करके देख, वाकई ये लाइने रेमो डिसूज़ा की ज़िंदगी पर सटीक बैठती है , क्योकि उनके जीवन में उन्होंने बहुत से संघर्षो का सामना किया है। और एक अनोखी पहचान बनायी है।और उन्होंने संघर्ष के दिनों में कई दिन भूखे पेट सोकर बितायी है। लेकिन उन्होंने अपने हुनर और डांस क दम पर खुद को स्थापित किया है। और आज वो एक मिसाल बन गए है। और वाकई में ही उनका जीवन बहुत कुछ प्रेरणा देता है। और जीवन जीने का असली मतलब भी बताता है। आज की कहानी रेमो डिसूज़ा पर है, जो कि अपने आप में ही बहुत खास और अलग है। क्योकी किसी के लिए भी ये सोचना ही बहुत मुश्किल होता है, कि वह भूखा सो जाय। क्योकि भुख इंसान के लिए सबसे बुरा वक़्त होता है। जिसे हर व्यक्ति डरता है। लेकिन रमेश उर्फ़ रेमो की कहानी हम सभी के लिए एक प्रेरणा है।
बेंगलुरु में जन्मे है रेमो
बता दे कि, रमेश यादव उर्फ़ रेमो डिसूज़ा का जन्म बेंगलूरु के एक गरीब परिवार में हुआ था। और रेमो शुरू से ही अपने हुनर को लेकर आगे बढ़ने की राह रखने वालो में से है। उन्होंने शुरू से ही अपने बेहतर भविष्य के लिए प्रयास किये थे। लेकिन गरीबी ने उन्हें रोके रखा था। लेकिन इन सबके बावजुद भी उन्होंने हर मुश्किलों को हरा दिया था। और एक नई पहचान बनाने में कामयाब रहे है।
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कोई ट्रेनिंग नहीं ली थी रेमो डिसूज़ा ने
सबसे ख़ास और बड़ी बात रेमो के बारे में जानने और समझने ये है। कि रेमो ने आज तज किसी भी तरह की डांस की कोई ट्रेनिंग नहीं ली है।और बाहर निकलकर सिर्फ अपने हुनर को निखारते रहे है। और वाकई उनके वाले संघर्ष का परिणाम पूरी दुनिया के सामने है। वो आज नाम बन गए है। और उनकी सफलता का असर उनकी कामयाबी के रंगो में दिखता है। वरना वक़्त ऐसा था कि, उनके पास खाने के पैसे नहीं होते थे, तो उन्होंने भूखे ओर रहकर कई राते गुज़ारी है।
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