बचपन में उठ गया था पिता का सांया सर से, माँ ने मज़दूरी करके पढ़ाया, मिट्टी के घर में रहकर की तैयारी, अरविन्द मीणा की है ये कहानी

अगर आपके सपने बड़े है, और सपने सच्चे है, तो उसे कोई भी दीवार नहीं तोड़ सकती, बस ज़रूरत है हिम्मत करने की। और आगे बढ़ने की, अक्सर मजबूरियां हमे परखने ही आती है ,और उनका सामना करके हम मजबूत बनते है ,और सफलता हासिल करते है। ऐसी ही एक कहानी है अरविन्द मीणा की, जो राजस्थान के है, उनके साथ गरीबी शुरू से ही रही है। और ऐसे में पिता जी का चल बसना ओर भी खलता है। क्योकि कोई सहारा नहीं था, माँ ने ही मज़दूरी करके पढ़ाया ,लिखाया। और इस काबिल बना दिया, कि वो भी किसी का सहारा बन सके, बता दे कि अरविन्द मीणा पहले एक सशस्त्र सेना में भर्ती थे, उससे उन्होंने अपने घर की स्तिथि ठीक की और फिर तैयारी करके आईएएस अफसर का पद प्राप्त किया।

मिटटी के घर में की तैयारी अरविन्द ने
मिटटी के घर में की तैयारी अरविन्द ने

मिटटी के घर में की तैयारी अरविन्द ने

अरविन्द मीणा का शुरूआती जीवन एक मिट्टी के घर में ही बीता, क्योकि वो बेहद गरीब थे, इसलिए उन्हें काफी परेशानियां तो हुई। लेकिन उन्होंने इन सब पर ध्यान न देते हुए भी तैयारी की, और परीक्षा को पास किया। मिटटी के उस घर में समस्या तो तब बढ़ जाती थी, जब बारिश आती थी ,जिससे सब तहस नहस हो जाता था ,और इसके बाद भी उनकी माँ ने ढांढस बनकर रखा था। जिसके कारण ही अरविन्द ने अपनी पढ़ाई पूरी की।

अरविन्द के सर से उसके पिता का सांया उठ गया था
अरविन्द के सर से उसके पिता का सांया उठ गया था

बचपन में उठ गया था पिता का सांया

अरविन्द के सर से उसके पिता का सांया उठ गया था ,जिसके बाद उनके घर पर मुसीबतो का पहाड टूट पड़ा। ऐसे में अरविन्द की माता ने हिम्मत नहीं हारी। और दैनिक मज़दूरी करके घर का खर्चा के साथ साथ किसी तरह से अरविन्द की पढ़ाई का भी खर्चा चलाया था। हालांकि एक माँ के लिए अपने बच्चे की ख़ुशी से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं होता है। इसलिए वो हर मुश्किल काम भी कर लेती है।

आईएएस बनने से पहले अरविन्द सशस्त्र सीमा बल में थे
आईएएस बनने से पहले अरविन्द सशस्त्र सीमा बल में थे

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आईएएस बनने से पहले अरविन्द सशस्त्र सीमा बल में थे

बता दे कि घर की हालत को सुधारने के लिए अरविन्द ने मेहनत करके सशस्त्र सीमा बल में भी भर्ती पायी थी। लेकिन नौकरी मिलने के बाद भी इन्होने अपने सपने को नहीं छोड़ा। और तैयारी करते रहे। और उन्होंने पुरे मेहनत और लगन से यूपीएसी की परीक्षा पास की। और उन्हें 676 वी रैंक मिली, लेकिन अरविन्द एक ST केटेगरी से है, तो उन्हें 12 रैंक प्राप्त हुई। यहाँ पर समझने योग्य बात ये है कि (आरक्षण का लाभ ऐसे ही गरीब और होनहार छात्रों को मिलना चाहिए)

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