आप में से कई लोगो को ये हैरानी तो ज़रूर होती होगी, कि फ्री में मिल रहे पानी को कोई बोतल में कैसे भरकर बेच सकता है? लेकिन ये बात एकदम सच है। कि बिसलेरी आज एक मिनरल वाटर ब्रांड बन चुका है। आज हर कोई कहीं बाहर जाता है, तो उसे पानी की साफ़ बोत्तल बिसलेरी ही पसंद आती है। क्योकि ये साफ़ पानी न सिर्फ स्वस्थ के लिया लाभदायक है, बल्कि रिसर्च के अनुसार ये बिसलेरी का पानी साफ पाया भी गया है। आज इस ब्रांड की कॉपी हर कोई कर रहा है। लेकिन इसका मुकबला कोई न कर सका। लेकिन क्या आपको पता है कि वाटर प्लांट बन चुकी इस बिसलेरी की कम्पनी में पहले पानी नहीं बल्कि दवा के विस्तार के लिए सोचा था। जी हां बिसलेरी कम्पनी पहले एक दवा की कम्पनी थी। तो फिर ये पानी का ब्रांड कैसे बनी?
दवा की कम्पनी थी कभी बिसलेरी
बिसलेरी कम्पनी का बिज़नेस शुरू में दवाई बनाने का था। जो कि Felice Bisleri जी द्वारा चलायी जाती थी। और शुरू में तो ये कम्पनी मलेरिया की दवाई बनाकर बेचती थी। और उस समय उस कम्पनी के फॅमिली डॉक्टर और Felice Bisleriके खास दोस्त हुआ करते थे, डॉक्टर रोजिज। जो कि भले ही डॉक्टर थे, लेकिन उनका दिमाग कसी बिजनेसमैन से कम नहीं था। और इस बात सबूत मिला ,जब 1921 में Felice Bisleri जी का निधन हो गया। और उसके बाद ये कम्पनी संभाली डॉक्टर रोजिज़ ने।
रोज़िज़ ने दिया उनके वकील दोस्त को ये अनोखा आईडिया
उस समय रोज़िज़ के एक वकील दोस्त थे, जिनका बेटा था खुशरू संतुक। जो अपने पिता की ही तरह वकील बनना चाहते थे। लेकिन डॉक्टर रोज़िज़ के बिज़नेस आईडिया ने उनकी ज़िंदगी ही बदल दी। डॉक्टर रोज़िज़ ने ही खुशरू संतुक को ये पानी बोतल में भरकर बेचने का आईडिया दिया। क्योकि वो जानते थे कि आगे आने वाले समय में इसकी डिमांड ज़रूर बढ़ेगी।
धीरे धीरे बिसलेरी को पहुंचाया आम जन तक
बिसलेरी का पहला वाटर प्लांट 1965 में मुंबई के ठाणे में लगा। शुरुआत में तो इस कम्पनी ने ये प्रोडक्ट सिर्फ पांच सितारा होटल्स में पहुचाना शुरू किया था। और बहुत से लोग उस वक़्त खुशरू संतुक को पागल भी बोला करते थे, और उनके लिए समस्या थी कि किस प्रकार से बिसलेरी को आमजन में पहुंचाया जाय ? क्योकि उस वक़्त भारत को आज़ाद हुए कुछ ही समय हुआ था। और आज 20 रुपए में आराम से बिकने वाला ये पानी का बोतल उस समय 1 रुपए की भी , महंगी हुआ करती थी।
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पार्ले कम्पनी ने खरीदी बिसलेरी कम्पनी
खुशरू संतुक ने कुछ समय बाद महसूस किया, कि उनके द्वारा चलायी गयी बिसलेरी कम्पनी से उन्हें कुछ खास फायदा नहीं हो रहा है। इसलिए उन्होंने ये कम्पनी को बेचने का फेसला ले लिया। और उस समय पार्ले कम्पनी भी अच्छे खासे फायदे में थी। और उस वक़्त बिसलेरी की बेचने की खबर उन तक भी पहुंच गयी। और उस वक़्त पार्ले कम्पनी के संसथापक चौहान ब्रदर्स ने ये बिसलेरी कम्पनी 4 लाख म खरीद ली। और फिर पार्ले ने इस पर काफी रिसर्च करके इस कम्पनी को आगे बढाया। और आज बिसलेरी के ब्रांड बन गयी है।
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