जब मंज़िल तय ही कर ली तो फिर रास्तों से क्या डरना। और एक बार जब हम सफलता के लिए बिना किसी नुकसान की परवाह किये हम सिर्फ आगे बढ़ने की ठान लेते है, तो फिर कुछ भी मुश्किल नहीं होता है। और हर राह आसान लगने लगती है। आज की कहानी थोड़ी नहीं बल्कि बहुत अलग है। क्योकि ये कहानी एक ऐसी सफलता की है, जिसे पहले बिलकुल असम्भव बताया गया। लेकिन वो कदम नहीं रुके। और फिर उनके प्रयास रंग ले आये। हम बात कर रहे है एक ऐसे स्टार्ट आप की, जिसे शुरू करने का श्रेय जाता है, अदिति भोसले वालुंज और चेतन वालुंज को। जिन्होंने रेपोस एनर्जी के संबंधित उद्योग स्थापित करने की बात की गयी थी। और वे इस सिलसिले में टाटा उद्योग के मालिक रतन टाटा जी से मार्गदर्शन चाहते थे। और इस पर उन्होंने एक पोस्ट शेयर किया है। जिसमे उन्होंने रतन टाटा जी के मार्गदर्शन की इच्छा रखी थी। लेकिन इसके बाद बहुत से लोगो ने कहा कि, उनसे मिलना असंभव है। लेकिन अदिति भोसले वालुंज और चेतन वालुंज को करीब `12 घंटे तक जके बाद रतन टाटा का कॉल आया था। और उनकी ज़िंदगी ही बदल गयी थी।
एक फ़ोन कॉल से बदल गयी किस्मत
बता दे कि, रतन टाटा जी ने जब अदिति भोंसले और चेतन वालुंज को कॉल किया। तो उनकी तो जैसे किस्मत ही बदल गयी हो, क्योकि इन सबके बाद रतन टाटा ने जब उनसे उनके स्टार्ट अप को लेकर मुलाकात की, तो फिर अदिति और चेतन जी की तो जैसे किस्मत ही बदल गयी हो। क्योकि साल 2019 में उन्हें पहला और फिर साल 2022 मेड उन्हें दूसरा निवेश टाटा ग्रुप की तरफ निवेश मिला है।
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टाटा ने बताया होंसले और जूनून रेपोस एनर्जी की कहानी
अदिति और चेतन के इस स्टार्ट अप की कहानी को जूनून और होंसले की अनोखी कहानी बताया है। रतन टाटा जी ने इनके इस कदम की बहुत सराहना की है।
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